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भारतीय वायुसेना और नौसेना का शान है, ये MiG-29 लड़ाकू विमान ! जिसे सोवियत संघ ने 70 के दशक में विकसित किया था।

Russian-built MiG-29 fighter aircraft of the Indian Air Force: रूस द्वारा विकसित किया गया MiG-29 लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना (IAF) और भारतीय नौसेना (Indian Navy) दोनों के पास सेवा में हैं। यह एक चौथी पीढ़ी (4th Gen) का मल्टी-रोल लड़ाकू विमान हैं। जिसे अमेरिका के F-15 Eagle और F-16 Fighting Falcon जैसे लड़ाकू विमानों से मुकाबला करने के लिए बनाया गया था।

भारतीय सेना का MiG-29 लड़ाकू विमान।
भारतीय सेना का MiG-29 लड़ाकू विमान।


News Subah Ki: भारतीय सेना MiG-29 लड़ाकू विमानों का एक बड़ा उपयोगकर्ता है। यह लड़ाकू विमान भारतीय वायु सेना (IAF) और भारतीय नौसेना (Indian Navy) दोनों के पास सेवा में हैं। यह एक चौथी पीढ़ी (4th Gen) का लड़ाकू विमान हैं, जिन्हें सोवियत संघ ने 1970 के दशक में अमेरिका के F-15 Eagle और F-16 Fighting Falcon जैसे लड़ाकू विमानों का मुकाबला करने के लिए विकसित किया था। इस विमान को भारतीय वायु सेना (IAF) में शामिल करने के लिए 1984 में ही 44 लड़ाकू विमान खरीदने का ऑर्डर दिया गया था, जब यह अपने शुरुआती विकास प्रक्रिया के चरण में था।

आधिकारिक तौर पर यह MiG-29 लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना में 1987 में शामिल हुआ था। भारतीय सेना में शामिल होने वाले 44 लड़ाकू विमानों में (40 सिंगल-सीट MiG-29 9.12B और चार ट्विन-सीट MiG-29UB) विमान थे। ताजा जानकारी के मुताबिक साल 2022 तक भारतीय सेना में 115 MiG-29 लड़ाकू विमान सेवा में थे। जिसमे से 75 MiG-29 लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना (IAF) के पास और 40 MiG-29 लड़ाकू विमान भारतीय नौसेना (Indian Navy) के पास थे।

 Highlights  

✅ भारत MiG-29 लड़ाकू विमानों का रूस के बाद दूसरा सबसे बड़ा उपयोगकर्ता देश है।

✅ इस लड़ाकू विमान को रूस ने अमेरिकी F-15 और F-16 लड़ाकू विमानों से मुकाबले के लिए विकसित किया था।

✅ इस लड़ाकू विमान को भारत ने 1984 में ऑर्डर दिया था और 1987 में आधिकारिक तौर पर सेना में शामिल हुआ था।

✅ MiG-29 लड़ाकू विमान का अधिकतम रफ्तार करीब 2400 किमी/घंटा हैं और यह 59,000 फुट की ऊंचाई तक उड़ता है।

✅ यह MiG-29 लड़ाकू विमान अपनी जबरदस्त फुर्ती के लिए मशहूर है, यह मूल रूप से हवा से हवा में लड़ाई के लिए बनाया गया था।

भारतीय सेना का MiG-29 लड़ाकू विमान।
भारतीय सेना का MiG-29 लड़ाकू विमान।
जानें क्या है MiG-29 लड़ाकू विमानों की खासियत?

इस MiG-29 लड़ाकू विमान को दो शक्तिशाली Klimov RD-33 टर्बोफैन इंजन से शक्ति मिलती है, जो इसे तेज रफ्तार और तेजी से ऊपर उठाने की क्षमता प्रदान करता हैं। इस MiG-29 लड़ाकू विमान का अधिकतम रफ्तार करीब 2.5 मैक (2400 किमी/घंटा) हैं। और यह लड़ाकू विमान लगभग 59,000 फुट की ऊंचाई पर उड़ता है। इस लड़ाकू विमान का उड़ान भरने का अधिकतम रेंज 1,500 कि.मी. (बिना ईंधन के) तक का है।  इसमें 30mm की Gryazev-Shipunov GSh-30-1 ऑटो-कैनन गन लगी है।  और इस लड़ाकू विमान में सात हार्डपॉइंट लगे हुए है। जिसमे सात जगहों पर रॉकेट, मिसाइल, बम और अतिरिक्त ईंधन टैंक ले जाने की सुविधा है। 

अपनी जबरदस्त फुर्ती के लिए मशहूर यह लड़ाकू विमान मूल रूप से हवा से हवा में लड़ाई (Air Superiority) के लिए ही बनाया गया था, जिसका मतलब है कि इस लड़ाकू विमानों का मुख्य काम दुश्मन के विमानों को हवा में ही रोकना और नष्ट करना था। इस विमान की सबसे बड़ी खासियतों में से एक इसकी फुर्ती है। यह हवा में बहुत तेजी से मुड़ सकता है, और दिशा बदल सकता है, जो इसे हवा से हवा में लड़ाई (Air-to-Air Combat) के लिए बहुत ही खतरनाक बनाता है। लेकिन समय के साथ इसके कई नए मॉडल विकसित किए गए हैं, जो जमीन पर हमला करने का मिशन भी कर सकते हैं। इन मल्टीरोल वेरिएंट्स को सटीक हथियारों के साथ जमीन पर मौजूद लक्ष्यों को निशाना बनाने के लिए तैयार किया गया है।

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भारतीय सेना का MiG-29 लड़ाकू विमान।
भारतीय सेना का MiG-29 लड़ाकू विमान।

MiG-29 लड़ाकू विमानों की कमियां:

इस MiG-29 लड़ाकू विमानों में कुछ खास कमियां भी है, जैसे कि इसका कम रेंज क्षमता (Short Combat Range), उच्च मेंटेनेंस और लागत (High Maintenance Cost), पुराना एवियोनिक्स और रडार सिस्टम (Outdated Avionics), कम वेपन कैरिंग कैपेसिटी (Limited Payload), ऑनबोर्ड सिस्टम की विश्वसनीयता (Reliability Issues) और कम स्टेल्थ और सिग्नेचर प्रबंधन (Low stealth and signature management) का होना। आइए पूरे विस्तार से जानते हैं इनके कमियों के बारे में!

MiG-29 लड़ाकू विमानों की कम रेंज क्षमता (Short Combat Range)

इस MiG-29 लड़ाकू विमानों की एक सबसे महत्वपूर्ण और ख़ास कमी है, इसके कम ईंधन क्षमता का होना? जिसके कारण इसकी रेंज लगभग 1,500 कि.मी. (कॉम्बैट मिशन पर) की ही हो जाती है, जो अन्य लड़ाकू विमानों जैसे सुखोई SU-30MKI (3000+ किमी) या राफेल (3700 किमी) की तुलना में बहुत कम है। जिसके कारण इसे बार-बार टैंकर से ईंधन लेने की जरूरत होती हैं।

उच्च मेंटेनेंस और लागत (High Maintenance Cost):

MiG-29 लड़ाकू विमानों की सर्विसिंग और रखरखाव (मेंटेनेंस) बहुत महंगा पड़ता है। क्योंकि इसके इंजन (RD-33) को बहुत जल्दी ओवरहाल की जरूरत पड़ती है, लगभग हर 350 से 400 घंटे की उड़ान भरने के बाद। इसके स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता भी कई बार इसके मेंटेनेंस में दिक्कत पैदा करती हैं। और कभी कभी तो इसके स्पेयर पार्ट्स के लिए रूस पर ही निर्भर रहना पड़ता है।

इसके पुराना एवियोनिक्स और रडार सिस्टम (Outdated Avionics):

शुरुआती MiG-29 लड़ाकू विमानों के वर्ज़न में पुराने रडार और एनालॉग सिस्टम होते थे। जिसके कारण इसके बियोंड विजुअल रेंज (BVR) क्षमता सीमित हो जाती थी। हालांकि भारत ने अब MiG-29 UPG लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करके इसमें आधुनिक रडार और डिजिटल कॉकपिट जोड़ा है।

इसका कम वेपन कैरिंग कैपेसिटी (Limited Payload):

यह MiG-29 लड़ाकू विमान लगभग 4,000 से 4,500 कि.ग्रा. हथियार ही ले जा सकता है। जबकि इसके तुलना में सुखोई SU-30MKI जैसे लड़ाकू विमान 8,000+ कि.ग्रा. तक ले जा सकते हैं। इसलिए यह भारी अटैक मिशन के लिए सीमित है।

इसके ऑनबोर्ड सिस्टम की विश्वसनीयता (Reliability Issues):

इन पुराने वर्ज़नों के MiG-29 लड़ाकू विमानों में इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम और इंजन में अक्सर फेल्योर रिपोर्ट आते रहते थे। खराब मौसम या समुद्री वातावरण में MiG-29K नौसेना (Navy) वर्ज़न का प्रदर्शन कुछ कम हो जाता है।

इसका कम स्टेल्थ और सिग्नेचर प्रबंधन (Low stealth and signature management):

इस MiG-29 लड़ाकू विमानों की डिज़ाइन बहुत पुराना है, इसलिए इसका रडार क्रॉस सेक्शन (RCS) बहुत ज्यादा है, यानी कि यह आसानी से दुश्मन देशो के रडार की पकड़ में आ जाता है। इस समय आधुनिक 4.5 और पांचवीं पीढ़ी (4.5 Gen-5th Gen) के विमानों में यह एक बड़ी कमजोरी मानी जाती है।


Disclaimer: यह लेख सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए सोशल मीडिया पोस्ट पर आधारित है। News Subah Ki ने पोस्ट में किए गए दावों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की है, और न ही उनकी सटीकता की गारंटी देता है। व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक रूप से News Subah Ki के विचारों को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं। पाठक विवेक का प्रयोग करें।

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