Sukhoi SU-30MKI Upgrade: भारत की रक्षा विनिर्माण में एक नया अध्याय जुड़ गया है। एक्सिसकेड्स टेक्नोलॉजीज की सहायक कंपनी मिस्ट्रल सॉल्यूशंस ने DRDO से एक बड़ा ऑर्डर हासिल किया है। यह ऑर्डर भारतीय वायुसेना के सुखोई SU-30MKI लड़ाकू विमानों के लिए एडवांस हवाई प्रणालियों के प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए दिया गया है।
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भारतीय वायुसेना का सुखोई SU-30MKI लड़ाकू विमान। |
News Subah Ki: जब भी देश की रक्षा की बात आती है, तो भारत अब केवल सरकारी कंपनियों पर निर्भर नहीं रहना चाहता है। अब वह निजी क्षेत्र को भी मौका दे रहा है। इसी दिशा में एक्सिसकेड्स टेक्नोलॉजीज की सहायक कंपनी मिस्ट्रल सॉल्यूशंस ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के कॉम्बैट एयरक्राफ्ट सिस्टम्स डेवलपमेंट एंड इंटीग्रेशन सेंटर (CASDIC) से एक महत्वपूर्ण ऑर्डर हासिल किया है।
यह ऑर्डर भारतीय वायुसेना (IAF) के मुख्य लड़ाकू विमान सुखोई SU-30MKI के लिए उन्नत एयरबोर्न सिस्टम के प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए है। यह परियोजना भारत के सुपर सुखोई अपग्रेड कार्यक्रम का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य विमानों के बेड़े को स्वदेशी तकनीक के साथ आधुनिक बनाना है, ताकि उनकी परिचालन अवधि को बढ़ाया जा सके।
Highlights
✅ भारतीय वायुसेना की रीढ़ की हड्डी है, सुखोई SU-30MKI लड़ाकू विमान।
✅ इस लड़ाकू विमान को ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के तहत भारत में हिंदुस्तान एरोनॉटिक लिमिटेड बनाता है।
✅ भारतीय वायुसेना में फिलहाल करीब 260 से ज्यादा सुखोई SU-30MKI लड़ाकू विमान हैं।
✅ इस अपग्रेड का मुख्य उद्देश्य सुखोई SU-30MKI विमानों में नई स्वदेशी तकनीकों को शामिल करना है।
✅ सुपर सुखोई' प्रोग्राम आधुनिकीकरण का एक हिस्सा है, जिसमें अब निजी कंपनियां भी अपनी भूमिका निभा रही हैं।
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भारतीय वायुसेना का सुखोई SU-30MKI लड़ाकू विमान। |
भारतीय वायुसेना की रीढ़ की हड्डी है, SU-30MKI:
आपको बता दें कि भारत, रूस से लाइसेंस टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के तहत सुखोई SU-30MKI लड़ाकू विमानों का निर्माण करता है। सुखोई SU-30MKI विमान भारत में ही स्थानीय प्रोडक्शन के तहत बनते हैं, लेकिन इसके कुछ क्रिटिकल कंपोनेंट अभी भी रूस से आयात होते हैं। भारतीय वायुसेना में करीब 260 से ज्यादा सुखोई SU-30MKI लड़ाकू विमान हैं। भारत ने इसे 1990 के दशक में रूस से खरीदा था और उसके बाद से इन विमानों को कई बार अपग्रेड किया गया है। भारत ने जो भी अपने स्वदेशी हथियार बनाए हैं, उसे सुखोई SU-30MKI में ही इंटीग्रेट किए गये हैं। रूस का जो मौजूदा ऑफर है, उसके तहत वो इसमें नया इंजन लगाना चाहता है। इस विमान में फिलहाल AL-31FP इंजन का इस्तेमाल होता है।
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भारतीय वायुसेना का सुखोई SU-30MKI लड़ाकू विमान। |
क्या है, भविष्य में अपग्रेड की प्लानिंग?
यह ऑर्डर फिलहाल प्रोटोटाइप के विकास के लिए है, लेकिन इसके सफल होने पर एक बड़ा उत्पादन ऑर्डर मिलने की उम्मीद है। इस बड़े ऑर्डर में लगभग 600 यूनिट शामिल होंगी, जिसकी कीमत करीब 150 करोड़ रुपये हो सकती है। यह उत्पादन अगले पांच साल तक चलने की उम्मीद है।
बता दें, यह डील मिस्ट्रल सॉल्यूशंस के लिए एक बड़ी सफलता है और एक्सिसकेड्स के ऑर्डर बुक में भी यह एक महत्वपूर्ण योगदान देगा। यह सौदा भारत के 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के साथ पूरी तरह से मेल खाता है, जो देश को महत्वपूर्ण रक्षा तकनीकों में आत्मनिर्भर बनाने पर केंद्रित है।
सुखोई SU-30MKI लड़ाकू विमानों के बेड़े का आधुनिकीकरण:
सुखोई SU-30MKI लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना की रीढ़ माना जाता है। यह लड़ाकू विमान पिछले कई सालों से भारतीय वायुसेना का हिस्सा रहा है, और इसे लगातार आधुनिक बनाने की जरूरत है। 'सुपर सुखोई' प्रोग्राम इसी आधुनिकीकरण का एक हिस्सा है, जिसमें अब निजी कंपनियां भी अपनी भूमिका निभा रही हैं।
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सुखोई SU-30MKI विमानों में नई स्वदेशी तकनीकों को शामिल करना है, जिससे वे भविष्य के युद्धों के लिए भी तैयार रहें। मिस्ट्रल सॉल्यूशंस जैसी कंपनियों का इस कार्यक्रम में शामिल होना यह दर्शाता है, कि भारत का निजी क्षेत्र अब रक्षा प्रौद्योगिकी में भी एक मजबूत स्थिति बना रहा है।
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