The story of Mahabharata from the perspective of Shakuni: आज हम आपको महाभारत की वो कहानी बताने जा रहे हैं, जो आप ने कभी सुनी नहीं होगी, और न हीं कोई आज तक इसे बताया ही होगा, ये कहानी महाभारत प्रारंभ होने से दशकों पहले की है। जिसमे महाभारत युद्ध की वर्षों पहले ही नींव पड़ चुकी थी। मगर समय ने इस पर कभी ध्यान ही नहीं दिया। वो समय था कुरु वंश के युवराज धृतराष्ट्र का विवाह! वो भी गांधार नरेश की पुत्री गांधारी से बलपूर्वक विवाह।
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| महाराज धृतराष्ट्र और राजकुमारी गांधारी का विवाह। |
News Subah ki: ये कहानी महाभारत युद्ध प्रारंभ होने से पहले की है, जब कुरु वंश के राजकुमार धृतराष्ट्र की विवाह को लेकर सब ऊहा-पोह में थे। क्योंकि राजकुमार धृतराष्ट्र जन्म से ही अंधे थे, इसलिए उनकी विवाह को लेकर सब चिंतित रहते थे। यह बात जब राजमाता ने गंगापुत्र भीष्म से की, तो गंगापुत्र भीष्म ने राजमाता को आश्वस्त रहने को कहते हैं। और वो हस्तिनापुर (आज का दिल्ली) से गांधार (आज का कांधार जो अफगानिस्तान में है) के लिए प्रस्थान करते हैं।
यह बात जब गांधार नरेश सुबल तक पहुंचती है, कि हस्तिनापुर के सेनापति गंगापुत्र भीष्म गांधार पधार रहे है तो गांधार के राजा सुबल महारानी सुदर्मा के साथ उनकी अगवानी करते हैं। खातिरदारी के बाद राजा रानी गंगापुत्र भीष्म से गांधार पधारने की वजह पूछते हैं, तो वो उनकी पुत्री गांधारी का हाथ राजकुमार धृतराष्ट्र के लिए मांगते हैं। जिसको न चाहते हुए भी महाराज सुबल को गंगापुत्र भीष्म की बात माननी पड़ती है। तब गांधारी को लेकर भीष्म हस्तिनापुर के लिए प्रस्थान करते हैं।
Highlights
✅ महाभारत काल की वो कहानी बताने जा रहे हैं, जो आप ने कभी सुनी नहीं होगी।
✅ महाभारत प्रारंभ होने से लगभग कई दशक पहले ही महाभारत युद्ध की नींव पड़ चुकी थी।
✅ वो समय था कुरु वंश के युवराज धृतराष्ट्र का गांधार नरेश सुबल की पुत्री से विवाह।
✅ गांधार के युवराज शकुनि का मन ही मन कसम खाना, कि एक दिन वो कुरु वंश का विनाश करेंगे।
✅ इतिहास गवाह है, की कैसे शकुनि ने बदले की आग में जलते हुए पूरे कुरुवंश का विनाश का कारण बने।
कौन थी गांधारी जिससे राजकुमार धृतराष्ट्र का विवाह हुआ:
राजकुमारी गांधारी, गांधार के राजा सुबल और महारानी सुदर्मा की सौ संतानों में से इकलौती पुत्री थी। और राजा सुबल के सौ संतानों में सबसे छोटे पुत्र शकुनि थे। इस विवाह को लेकर गांधार में कोई खुश नहीं था, खासकर राजकुमार शकुनि, क्योंकि हस्तिनापुर के राजकुमार धृतराष्ट्र अंधे थे। इसलिए उनकी बहन गांधारी अपने आंखों पर जीवन भर के लिए पट्टी बांध ली थी। और उस समय हस्तिनापुर का विरोध करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था। इसलिए गांधार नरेश सुबल चाहकर भी विरोध नहीं कर पाते हैं।
मगर गांधार के युवराज शकुनि मन ही मन कसम खाते हैं, कि एक दिन वो कुरु वंश का विनाश करेंगे तब जाकर उनका बहन का बदला पूरा होगा।
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| गांधार नरेश सुबल की पुत्री राजकुमारी गांधारी। |
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गांधारी का मांगलिक होने की कीमत पूरे गांधार को चुकाना पड़ा:
राजकुमारी गांधारी जब हस्तिनापुर आयी और उनका विवाह जब राजकुमार धृतराष्ट्र से हो गया तब मालूम हुआ की राजकुमारी गांधारी मांगलिक है। यह बात जब गंगापुत्र भीष्म तक पहुंची तो वो बहुत गुस्साए और गांधार नरेश को दंड देने के लिए कि वो जानकारी होते हुए भी उन्हें इस बात से अवगत नहीं कराए, धोखे से गांधार नरेश सुबल को हस्तिनापुर बुलाया गया और उन्हें पूरे परिवार के साथ कारावास में डाल दिया गया। उस समय युवराज शकुनि छोटे थे।
कारावास में बहुत ही कठोर यातनाएं झेलना पड़ा:
इनलोगों को कारावास में बहुत ही यातनाएं झेलना पड़ा था। कहा जाता है कि इनको खाने के लिए पूरे परिवार (सौ पुत्र और माता पिता) को केवल एक मुट्ठी चावल ही दिया जाता था। इसलिए वो चावल सबसे छोटे राजकुमार शकुनि को ही खिला दिया जाता था की कम से कम वो जिंदा रहे कुरु वंश से बदला लेने के लिए और सब भूखे रहते थे। एक-एक करके भूख से धीरे-धीरे सब मरने लगे जब अंतिम में सिर्फ दो आदमी रह गए राजा सुबल और राजकुमार शकुनि तब राजा सुबल शकुनि को बुलाए और बोले की मैं तुम्हें एक बहुत ही अनमोल तोहफा देने जा रहा हूं, जिसे तुम पूरी जिंदगी याद रखना। और यह बात कभी भूलना नहीं कि कुरु वंश का समूल नास करना है।
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| महाभारत काल के चौसर के सबसे बड़े खिलाड़ी गांधार नरेश शकुनि। |
ये था, महाभारत युद्ध का का प्रारंभिक बीज?
राजकुमार शकुनि जब महाराज सुबल के पास आए, तब राजा सुबल पूरे ताकत लगा कर शकुनि के पैरों पर मारते हैं। और राजकुमार शकुनि का पैर टूट जाता है, तो राजा सुबल कहते हैं कि तुम जब-जब लंगड़ाओगे तब-तब ये याद रहेगा कि बदला लेना है, इन कुरु वंशियों से और इनका समूल नास करना है।
और राजा सुबल मरते मरते राजकुमार शकुनि को कहते हैं कि मेरे मरने के बाद मेरी हड्डियों से पासा बनाना, ये पासा तुम्हें जो मांगोगे वो नंबर देगी। इसके रहते तुम्हे कभी भी कोई भी चौसर में नहीं हरा सकता ये मेरा वचन है। यही से महाभारत युद्ध का प्रारंभिक बीज बोया गया था। और इतिहास गवाह है की कैसे गांधार नरेश शकुनि ने बदले की आग में जलते हुए पूरे कुरु वंश का विनाश का कारण बने।
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