बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में स्थित 3 हजार साल पुराना नागकूप, यहां पूजन और दर्शन से दूर होते हैं कालसर्प-वास्तु दोष इत्यादि।

 

बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी का प्राचीन नागकूप
फोटो: बनारस के प्राचीन नागकूप

बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी का प्राचीन नागकूप का इतिहास बहुत पुराना है। बताया जाता है कि इसका सीधा कनेक्शन पाताल लोक और नागलोक से है। यहां पूजन से दूर होते हैं कालसर्प-वास्तु दोष इत्यादि।

News Subah Ki: बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी के रहस्य को समझना आसान नहीं है। महादेव के त्रिशूल पर बसे दुनिया के इस सबसे प्राचीन नगरी में कई रहस्यमयी चीजें हैं। आप सभी ने देश दुनिया में विभिन्न कुंड, तालाब, कुओं के बारे में सुना होगा, लेकिन बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में एक ऐसा प्राचीन नाग कुआं है, जिसका इतिहास लगभग 3,000 साल पुराना बताया जाता है। जिसके बारे में ऐसा कहा जाता है कि इसका रास्ता सीधे नागलोक और पाताल लोक को जाता है। यह नाग कुआं पूरे साल बंद रहता है, लेकिन नाग पंचमी से एक हफ्ते पहले यह आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाता है।

किवदंतियों की माने तो सबसे पहले जब शिव काशी आए थे तो नागों के राजा यहीं विराजमान थे और शिव जी ने उनसे मुलाकात की। उस समय यह कुआं बिल के रूप में था जो आगे चल के कूप में परिवर्तित हो गया। ऐसा कहा जाता है कि यह नाग कुआं काशी विश्वनाथ मंदिर से भी काफी प्राचीन है।स्कंद पुराण में वर्णित है कि काशी का नागकूप वह स्थल है, जो पाताल लोक, नागलोक का मार्ग है। उन्होंने आगे बताया कि नागकूप के अंदर एक शिवलिंग भी है, जिसका दर्शन अति दुर्लभ माना जाता है। साल में सिर्फ एक बार नाग पंचमी के अवसर पर इस नागकूप की सफाई होती है, तभी बाबा कारकोटेश्वर नाथ के दर्शन हो पाते हैं। आश्चर्य की बात है कि तमाम कोशिशों के बावजूद आज तक यह पता नहीं चल सका कि इसकी गहराई कितनी है, आज तक कोई पता नहीं कर पाया है।

बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी का प्राचीन नागकूप
फोटो: बनारस के प्राचीन नागकूप




 Highlights 

✅ बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी का प्राचीन नागकूप का इतिहास हजारों साल पुराना।

✅ साल में सिर्फ एक बार ही होते है नागकूप मे शिवलिंग के दर्शन।

✅ यही हुआ था योगसूत्र की रचना महर्षि पतंजलि के द्वारा।

✅ नागकूप में स्नान मात्र से खत्म होगा सर्प दंश का भय।

✅ यहां पूजन मात्र से दूर होते हैं, कालसर्प-वास्तु दोष इत्यादि।

नागकूप का इतिहास हजारों साल पुराना:

काशी के ज्योतिषाचार्य, यज्ञाचार्य एवं वैदिक कर्मकांडी पं. रत्नेश त्रिपाठी ने नाग कूप के महत्व, धार्मिक मान्यता के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि शेषावतार नागवंश के महर्षि पतंजलि ने कई साल तक इसी जगह तप-ध्यान किया था। उन्होंने यहीं पर व्याकरणाचार्य पाणिनी के भाष्य की रचना की थी। नागकूप के बारे में धार्मिक कथा भी प्रचलित है, जिसके अनुसार काशी के इस प्राचीन नागकूप का इतिहास हजारों (अनुमानित 3000) साल पुराना है। आम कूप की तरह दिखने वाले इस नाग कूप में कई रहस्य हैं। यहां पर बाबा कारकोटेश्वर नाथ के रूप में विराजमान हैं। इस नागकूप के अंदर कुल सात कुएं और उनके नीचे सीढ़ियां हैं, जो नागलोक तक ले जाती हैं। स्कंद पुराण में वर्णित है कि काशी का नागकूप वह स्थल है, जो पाताल लोक, नागलोक का मार्ग है।

बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी का प्राचीन नागकूप
फोटो: बनारस के प्राचीन नागकूप
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साल में एक बार ही होते है नागकूप मे शिवलिंग के दर्शन:

पंडित श्री रत्नेश त्रिपाठी जी ने आगे बताया कि नागकूप के अंदर एक शिवलिंग भी है, जिसका दर्शन बहुत ही दुर्लभ माना जाता है। प्रत्येक बार साल में एक बार नाग पंचमी के अवसर पर इस नागकूप की सफाई होती है, तभी नागकूप के अंदर बाबा कारकोटेश्वर नाथ के दर्शन हो पाते हैं। इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जमा होती है और लोग दर्शन-पूजन के लिए इस मंदिर में जुटते हैं। श्रद्धालु नागकूप में धान के लावा और दूध भी चढ़ाते हैं और शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।

यही हुआ योगसूत्र की रचना महर्षि पतंजलि के द्वारा:

पंडित श्री त्रिपाठी जी ने बताया कि काशी के इस नागकूप का सीधा कनेक्शन शेषावतार नागवंश के महर्षि पतंजलि से माना जाता है। कथाओं के मुताबिक, महर्षि पतंजलि ने व्याकरणाचार्य पाणिनी के भाष्य की रचना की थी। मान्यता है कि नागकूप के रास्ते महर्षि पतंजलि काशी से नाग लोक में जाकर तपस्या किया करते थे। महर्षि पतंजलि ने इस स्थान से योगसूत्र की रचना की थी। ऐसे में यह मान्यता प्रचलित है कि इस कुंड में स्नान करने से कई रोगों और बीमारियों से लोगों को मुक्ति मिलती है।

बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी का प्राचीन नागकूप
फोटो: बनारस के प्राचीन नागकूप


स्नान मात्र से खत्म होगा सर्प दंश का भय:

पंडित श्री त्रिपाठी जी के अनुसार धार्मिक मान्यता है कि जिस व्यक्ति को सपने में बार-बार सर्प या नाग का दर्शन होता है या उन्हें सर्प दौड़ाकर काटते हुए दिखता है। उन्हें इस नागकूप में एक बार जरूर स्नान करना चाहिए और इस नागकूप का जल घर में छिड़कना चाहिए। इससे सर्प दंश का भय हमेशा हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है।

यहां पूजन मात्र से दूर होते हैं, कालसर्प दोष:

पं. रत्नेश त्रिपाठी जी ने बताया कि जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष है, यदि वे इस नागकूप का दर्शन करते हैं और नियम के साथ पूजा-पाठ करते हैं तो कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। और कहा जाता है कि राहू-केतु समेत अन्य ग्रह भी शांत होते हैं। नागकूप का जल बेहद पवित्र और वास्तु के लिए भी बेहद लाभदायी माना जाता है। नागकूप के जल का घर में छिड़काव करने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है।


Disclaimer: यह लेख इंटरनेट पर आधारित है। इस लेख में लेखक की तरफ से कई त्रुटियां हो सकती हैं, इसलिए 100% सही होने की गारंटी नहीं दिया जा सकता है। इसीलिए इस लेख पर किसी प्रकार का दावा या क्लेम नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह अनुचित एवम् अमान्य माना जायेगा।

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