![]() |
श्री कृष्ण, द्रौपदी और कर्ण |
महाभारत काल में द्रौपदी और श्रीकृष्ण का संबंध मित्रता और मार्गदर्शक का था। द्रौपदी ने श्रीकृष्ण को हमेशा सखा और मार्गदर्शक ही माना। कर्ण या श्रीकृष्ण से प्रे@म का कोई प्रमाण नहीं है।
News Subah Ki: महाभारत के यूं तो सभी किरदार बेहद रोचक और प्रेरणादायक हैं। लेकिन द्रौपदी का किरदार ऐसा है, जिसे लेकर कई तरह के सवाल, कई तरह की बातें हमेशा होती रही हैं। आज के युग में महाभारत पढ़ने से ज्यादा उससे जुड़ी कहानियों पर लोगों को ज्यादा भरोसा है। इसके अलावा टीवी पर टेलीकास्ट हुए महाभारत के एपिसोड में दिखाए गए कई तथ्यों को लोग आज भी पूरी तरह सही मानकर ही महाभारत के किरदारों को समझते हैं। लेकिन असल में ‘क्रिएटिव लिबर्टी’ यानी रचनात्मकता के नाम पर टीवी पर प्रसारित महाभारत में कई ऐसे तथ्य दिखाए गए हैं, जो असली महाभारत के बजाए किवदंतियों या कहानियों से लिए गए हैं. द्रौपदी से जुड़े भी ऐसे कई मिथक हैं। ऐसा ही एक मिथक है द्रौपदी और श्रीकृष्ण के संबंध को लेकर। वहीं कुछ कहानियों में द्रौपदी के मन में कर्ण के प्रति प्रेम होने का भी दावा किया गया है। लेकिन क्या से सब सच है? आइए इसे समझते हैं पूरे विस्तार से!
Highlights
✅ द्रौपदी और श्रीकृष्ण का संबंध मित्रता और मार्गदर्शक का था।
✅ महाभारत में द्रौपदी और कर्ण के प्रेम का कोई प्रमाण नहीं है।
✅ द्रौपदी ने श्रीकृष्ण को हमेशा सखा और मार्गदर्शक माना।
अर्जुन, द्रौपदी और श्रीकृष्ण का संबंध:
भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए गीता के ज्ञान को आज भी दुनिया का सबसे समकालीन ग्रंथ माना जाता है। श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन को ही दिया था, जो द्रौपदी के 5 पतियों में से एक था। संबंधों की बात करें तो अर्जुन की मां और द्रौपदी की सास राजमाता कुन्ती श्रीकृष्ण की बुआ लगती थीं। वहीं अर्जुन ने श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा से विवाह किया था, जो अभिमन्यु की मां थीं। लेकिन इन रिश्तों से अलग श्रीकृष्ण और द्रौपदी में भी एक संबंध था। वह था मित्रता और मार्गदर्शक का।
संबंधित खबरें
3. जानिए नाखून, दाढ़ी और बाल कटवाने का दिन मान्यताओं और शास्त्रों के अनुसार!
![]() |
श्री कृष्ण और द्रौपदी |
क्या श्रीकृष्ण से प्रेम करती थी द्रौपदी?
कई जगह इस तरह की कहानियां आती हैं, कि द्रौपदी को कर्ण और श्रीकृष्ण से प्रेम था। लेकिन प्रसिद्ध लेखिका अमी गणात्रा अपनी किताब में महाभारत के तथ्यों की व्याख्या करते हुए ये साफ करती हैं, कि महाभारत में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो इन दावों का समर्थन करता है। वह अपनी किताब में बताती हैं, कि गीता प्रेस, KMG, दक्षिणात्त्य पुनरावृत्तियों या BORICE आदि पर आधारित ज्ञात संस्कृत पाण्डुलिपियों और अनुवादों में से किसी में भी इस दावे को दर्शाने वाला कोई श्लोक नहीं है। यह मिथक इस महाकाव्य के आधार पर की गई कपोल कल्पनाओं पर आधारित है। क्योंकि महाभारत के अनुसार द्रौपदी श्रीकृष्ण को एक सखा और मार्गदर्शक के रूप में देखती थी। उसने उनके साथ अपनी सारी चिंताओं और पीड़ाओं को साझा किया, अर्जुन ने भी ऐसा ही किया। द्रौपदी और श्रीकृष्ण के बीच किसी प्रकार का ‘रोमांटिक’ कोण नहीं था।
![]() |
कर्ण और द्रौपदी |
द्रौपदी और कर्ण के प्रेम का कोई प्रमाण नहीं:
जहां तक कर्ण का सम्बंध है, तो द्रौपदी द्वारा उसमें कोई रुचि दिखाने का एक भी संकेत नहीं मिलता है। महाभारत में इस बात का जिक्र आता है, कि जब द्रौपदी का स्वयंवर कराया गया था, तो पूरे भारत के अलग-अलग कौने से राजा यहां आए थे। इस स्वयंवर में दुर्योधन, दुःशासन और कर्ण भी मौजूद था। लेकिन द्रौपदी ने ब्राह्मण रूपी अर्जुन का वरण किया था। इसके अलावा जुए के खेल, जयद्रथ और कीचक की आसक्ति जैसी घटनाओं से यह स्पष्ट है कि द्रौपदी एक बहुत ही सुन्दर और आकर्षक महिला रही थी। लेकिन उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया जिससे ऐसा लगे कि उसे कर्ण के प्रति प्रेम जैसी कोई भावना थी।
Disclaimer: यह लेख इंटरनेट पर आधारित है। इस लेख में दी गई जानकारीयो को 100 प्रतिशत सही नहीं माना जा सकता है। इसलिए इस लेख पर किसी प्रकार का कोई भी दावा या क्लेम करना बिल्कुल अमान्य होगा।