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अमेरिका का नीति और नियत दोनो ही खराब है, बीते 100 सालों से महाशक्ति रहा पर उन्होंने हर उस देश को नष्ट किया जिसने उन्हें चुनौती दी या कोशिश की!

 

सुपर पॉवर अमेरिका
पिछले 100 सालों से सुपर पॉवर है अमेरिका 

News Subah Ki: अमेरिका पिछले 100 सालों से महाशक्ति रहा है। उन्होंने हर उस देश को नष्ट या बर्बाद कर दिया है, जिसने उन्हें चुनौती दी है, या फिर कोशिश किया है। इसमें पहला नाम जापान का आता है। जब जापान ने उन्हें चुनौती दी, तो उन्होंने उसे परमाणु बम मारकर नष्ट कर दिया। जब सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ (Union of Soviet Socialist Republics) USSR ने उन्हें चुनौती दी, तो उन्होंने उन्हें कोल्ड वार के तहत 17 टुकड़ों में तोड़ दिया।

जब इराक ने अपना सिर उठाया, तो उन्होंने उसे भी नष्ट और बर्बाद कर दिया। उन्होंने ईरान के साथ भी ऐसा ही किया। आजकल चीन के साथ भी वैसे ही करने की कोशिश कर रहे है। लेकिन भारत के अधिक भू-राजनीतिक महत्व प्राप्त करने के साथ, अब भारत की बारी आ गई है। देखते हैं भारत कैसे डील करता है, इस सुपर पॉवर अमेरिका से।

 Highlights  

✅ जब जापान ने अमेरिका को चुनौती दी, तो उन्होंने उसे परमाणु बम मारकर नष्ट कर दिया था।

✅ जब सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ (USSR) ने उन्हें चुनौती दी, तो उन्होंने उन्हें कोल्ड वार के तहत 17 टुकड़ों में तोड़ दिया।

✅ जब इराक ने अपना सिर उठाया, तो उन्होंने उसे भी नष्ट और बर्बाद कर दिया।

✅ उन्होंने ईरान के साथ भी ऐसा ही किया है, जिससे वो भी कभी अमेरिका के सामने खड़ा न हो सके।

✅ आजकल चीन के साथ भी वैसे ही करने की कोशिश कर रहे है। मगर चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

अमेरिकी उद्योगपतियों का दुनिया के Top 10 उद्योगपतियों में दबदबा: 

पिछले 100 सालों से अमेरिकी उद्योगपतियों ने दुनिया के टॉप टेन उद्योगपतियों पर अपना दबदबा कायम रखा है, टॉप 10 में से 8, 9 तो सिर्फ अमेरिकी उद्योगपति हैं, कोई और दूर-दूर तक नहीं है।

जब चीन के उद्योगपति "जैक मा" ने दुनिया के Top 10 में तीसरा स्थान हासिल किया तो उनके खिलाफ "लॉबिंग" शुरू हो गई और उन्हें अंत में भागना पड़ा, वैसे ही अब अडानी और अंबानी जैसे भारतीय कारोबारियों के पीछे पड़े हैं।

अमेरिका की ताकत उसका उद्योग है, वह तकनीक और व्यापार के बल पर पूरी दुनिया को नियंत्रित करता है। और अगर कोई देश या उद्योगपति उनसे मुकाबला करेगा या उन्हें चुनौती देगा तो वे अरबों खरबों रुपए खर्च करके उन्हें बर्बाद कर देंगे।

भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप।
भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप (अमेरिकी राष्ट्रपति)


अब भारतीय उद्योगपतियों के पीछे पड़ा है, ये लाबी:

पिछले पांच सालों में भारतीय उद्योगपति "अडानी" ऊंची उड़ान भर रहे थे, पिछले साल वे दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उद्योगपति बन गए थे, अगर यही रफ्तार जारी रहती तो वे 2024 में दुनिया के सबसे बड़े उद्योगपति बन जाते, दुनिया भारत की तरफ देखती। ऊर्जा पर निर्भरता भारत की कमजोरी रही है, जिसके कारण 1991 में भी भारत को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा था भारत के तेल आयात बिल में भारी वृद्धि के कारण संकट और गहरा गया है।

अडानी भारत की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना, जो दुनिया की सबसे कम लागत वाली ग्रीन हाइड्रोजन परियोजना स्थापित करके भारत की ऊर्जा को सुरक्षित करने की दिशा में काम कर रहे हैं, जो समय के साथ तेल और गैस की जगह ले लेगी। यह हिंडनबर्ग द्वारा अडानी पर बार-बार किए गए हमलों की व्याख्या करता है। और हाल ही में सीएनबीसी (CNBC) द्वारा अडानी के दुनिया के दूसरे ट्रिलियनेयर बनने के पूर्वानुमान के साथ, समूह पर हमले यहां से और तेज होंगे।

यदि भारत 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' अभियान चला रहा है, तो इसका मतलब है, कि भारत एक बहुत बड़ा बाजार है, जिसमें दुनिया की 20% आबादी रहती है, जो किसी भी अन्य अर्थव्यवस्था की तुलना में तेजी से बढ़ रही है। अगर भारत आने वाले 20 सालों में आत्मनिर्भर हो जाता है, तो अमेरिका, यूरोप, चीन के साथ-साथ अरब जगत को भी भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। भारतीय रुपया एक डॉलर के मुकाबले और मजबूत होता रहेगा।

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भारत के विरुद्ध में भी लॉबिंग शुरू हो गई है:

भारत के विरुद्ध भी लॉबिंग शुरू।
भारत में भी लॉबिंग शुरू हो गई है, देश के बाहर और भीतर।


भारत में भी लॉबिंग शुरू हो गई है, हर देश में "पप्पुओं" की कमी नहीं है, मीडिया को खरीदा जा सकता है, यही समूह एक दशक पहले कृष्णा गोदावरी (KG) बेसिन में भारत की तेल और गैस परियोजना को समाप्त करने वाली शक्ति का कारण बना था।

यूट्यूब, फेसबुक, गूगल, ट्विटर ये सभी प्लेटफॉर्म अमेरिका के हैं, वो जब चाहे किसी के खिलाफ अभियान चला सकता है, भारत में मूर्खों, पप्पुओं, जयचंदों, देशद्रोहियों की कोई कमी नहीं है, चीन में ये सब आसान नहीं है, वहां लोकतंत्र नहीं है, वहां प्रोपेगेंडा, झूठ फैलाना आसान नहीं है, चीन खुद भारत को आगे बढ़ने से रोक रहा है। आने वाले समय में "भारत" के लिए और भी चुनौतियाँ हैं।

अमेरिका ने अफगानिस्तान में रूस के खिलाफ "तालिबान" जैसे संगठन खड़े करने में अरबों, खरबों डॉलर खर्च किए थे, भारत को अस्थिर करना और भी आसान है, यहाँ देशद्रोहियों और गद्दारों की कमी नहीं है, यहाँ के कुछ नेताओं के बयानों को देखिए, वे खुलेआम विदेशी एजेंट की तरह काम कर रहे हैं, जज बिक चुके हैं, मीडिया बिक चुकी है, नेता बिकाऊ हैं।

हर भारतीय को समझदार और चतुर बनना होगा:

जब तक भारत के लोग समझदार और चतुर नहीं बनेंगे, भारत "महाशक्ति" नहीं बन सकता। भारत एक बहुत बड़ा बाजार है, कोई भी देश नहीं चाहेगा कि भारत आत्मनिर्भर बने, इसलिए ऐसी बातें कहने वाली सरकारों को हराना या गिराना होगा। विदेशी ताकतें भारत में "मिश्रित या कमजोर" सरकार चाहती हैं, जिसके गिरने का हमेशा डर बना रहता है। भारत में पिछले 11 सालों से स्थिर और मजबूत सरकार है। 

उन्हें इस बात से परेशानी है, कि भारत सरकार अपने ही उद्योगपतियों को मजबूत बना रही है, और इनकी सोच है कि इनके पंख काटने हैं, किसी भी देश की ताकत उसके "उद्योगपति" होते हैं जो अपने देश के हुनर और चीजों को विदेशों में बेचते हैं,, उनके हितों की रक्षा करना सरकार का काम है। अगर आज अडानी, अंबानी, टाटा और महिंद्रा दुनिया को चुनौती दे रहे हैं, तो क्या इनकी बर्बादी का जश्न मनाने वाले हमारे देश के ये गद्दार विदेशी एजेंट नहीं हैं ?

पहचानिए इन्हें, ये इस युग के जयचंद हैं:

ये जयचंद आस्तीन के इतने जहरीले सांप हैं, कि इन्हें हर भारत विरोधी बात में खुशी मिलती है। ये देश की तरक्की से जुड़े किसी भी आंकड़े या रिपोर्ट को मानने को तैयार नहीं हैं, लेकिन अगर इन्हें कहीं भी देश के खिलाफ कुछ भी दिख जाए तो ये खुशी से पागल हो जाते हैं।

मीडिया लाचार है, बिकाऊ है, ये इन गद्दार नेताओं से सवाल नहीं पूछेगी, लेकिन हम लाचार नहीं हैं...!


Disclaimer: यह लेख सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए सोशल मीडिया पोस्ट पर आधारित है। News Subah Ki ने पोस्ट में किए गए दावों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की है, और न ही उनकी सटीकता की गारंटी देता है। व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक रूप से News Subah Ki के विचारों को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं। पाठक विवेक का प्रयोग करें।

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