भारतीय सेना का बब्बर शेर जोरावर! चीनी Type-15 टैंक को चटा देगा धूल, अब इस इंजन से हुआ अपग्रेड?

Indian Army Zorawar light tank: भारतीय सेना ने ऊंचे पहाड़ों पर अपनी ताकत बढ़ाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। भारत के पहले लाइट टैंक, 'जोरावर' का दूसरा प्रोटोटाइप तैयार हो गया है। इस टैंक में खास तौर पर पहाड़ी इलाकों के लिए कई बड़े बदलाव किए गए हैं, ताकि यह मुश्किल से मुश्किल रास्तों पर भी आसानी से चल सके।

भारत का लाइटवेट ज़ोरावर टैंक।
भारत का लाइटवेट ज़ोरावर टैंक।


News Subah Ki: भारतीय सेना की जरूरत को समझते हुए, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने निजी कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के साथ मिलकर एक खास हल्के टैंक पर काम शुरू किया था, जिसका नाम महान आर्मी योद्धा जनरल जोरावर सिंह के नाम पर रखा गया है। यह टैंक चीन की तरफ से लद्दाख जैसे इलाकों में तैनात किए गए हल्के टैंकों का जवाब देने के लिए बनाया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, अब इस प्रोजेक्ट ने एक महत्वपूर्ण पड़ाव पार कर लिया है, क्योंकि इसका दूसरा प्रोटोटाइप तैयार हो गया है। यह नया प्रोटोटाइप पहले वाले से कहीं ज्यादा एडवांस है, और इसमें कई जरूरी सुधार किए गए हैं, खासकर ऊंचाई वाले इलाकों में बेहतर प्रदर्शन के लिए, ऐसे में आइए इसकी ताकत को पूरे विस्तार से जानते हैं।

 Highlights  

✅ भारतीय सेना की जरूरत को देखते हुए DRDO और L&T ने मिलकर जोरावर टैंक का निर्माण किया है।

✅ जोरावर टैंक में अमेरिकी कंपनी कमिंस का बहुत ही शक्तिशाली इंजन लगाया गया है।

✅ जोरावर टैंक में कई बड़े बदलाव किए गए हैं, ताकि यह मुश्किल से मुश्किल रास्तों पर भी आसानी से चल सके।

भारत का लाइटवेट ज़ोरावर टैंक।
भारत का लाइटवेट ज़ोरावर टैंक।


जोरावर टैंक में क्या-क्या हुआ है, बदलाव?

'जोरावर' के इस नए प्रोटोटाइप में सबसे बड़ा बदलाव इसके इंजन में किया गया है। पहले प्रोटोटाइप में जर्मन इंजन का इस्तेमाल हुआ था, लेकिन अब दूसरे प्रोटोटाइप में अमेरिकी कंपनी कमिंस का एक नया और शक्तिशाली इंजन लगाया गया है। यह नया इंजन खास तौर पर पतली हवा वाले ऊंचे इलाकों में भी बेहतरीन प्रदर्शन करेगा।

इसके अलावा, टैंक में ब्रिटिश कंपनी हॉर्स्टमन का नया हाइड्रो-न्यूमेटिक सस्पेंशन सिस्टम लगाया गया है। यह सिस्टम टैंक को उबड़-खाबड़ रास्तों पर आसानी से चलने में मदद करेगा, जिससे जवानों के लिए टैंक के अंदर रहना ज्यादा आरामदायक होगा।

बताते चलें कि, इसमें एलिसन कंपनी का बेहतर ट्रांसमिशन सिस्टम भी लगा है, जो इंजन की ताकत को सही तरीके से टैंक के पहियों तक पहुंचाएगा। ये सभी बदलाव यह सुनिश्चित करते हैं कि यह टैंक लद्दाख जैसे इलाकों में, जहां हवा कम होती है, और जमीन पथरीली होती है, वहां भी पूरी क्षमता से काम कर पाएगा।

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भारत का लाइटवेट ज़ोरावर टैंक।
भारत का लाइटवेट ज़ोरावर टैंक।


क्या है, जोरावर को लेकर सेना की रणनीति?

भारतीय सेना के लिए हल्के टैंक की जरूरत काफी समय से महसूस की जा रही थी। भारी टैंक, जैसे कि अर्जुन, T-90 भीष्म और T-72 अजेय को पहाड़ों पर ले जाना और चलाना बहुत मुश्किल होता है। चीन ने पहले ही अपनी सीमा पर अपने हल्के 'टाइप 15' टैंक तैनात कर रखे हैं।

ऐसे में, जोरावर टैंक भारत का इसी तरह का जवाब है। इस दूसरे प्रोटोटाइप के तैयार होने के बाद, अब इसका ट्रायल किया जाएगा, जिसमें इसे सभी मुश्किल परिस्थितियों में परखा जाएगा। अगर यह ट्रायल सफल होता है, तो जोरावर टैंक जल्द ही भारतीय सेना का एक अहम हिस्सा बन जाएगा और हमारी उत्तरी सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत करेगा।


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