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भारत का खूबसूरत अंडमान निकोबार द्वीप समूह। |
News Subah Ki: भारत का ग्रेट निकोबार परियोजना एक आर्थिक प्रगति का ही नहीं, बल्कि सामरिक दृष्टिकोण के हिसाब से भी बहुत महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट साबित होने वाला है। यह परियोजना भारत की सुरक्षा, व्यापार और रणनीतिक हितों के लिहाज से एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। भारत आज जिस दौर से गुजर रहा है, वह केवल आर्थिक प्रगति का ही नहीं, बल्कि सामरिक सुदृढ़ीकरण का भी सही समय है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे और वैश्विक भू-राजनीतिक समीकरणों ने भारत को मजबूर किया है, कि वह अपनी सामरिक स्थिति को और अधिक सुदृढ़ और मजबूत बनाए। इस दृष्टि से ग्रेट निकोबार परियोजना भारत को सामरिक बढ़त दिलाने की क्षमता रखता है।
इस परियोजना की रूपरेखा और महत्व की बात करें तो आपको बता दें, कि लगभग ₹81,000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार की जा रही, इस योजना में अंतरराष्ट्रीय ट्रांसशिपमेंट पोर्ट (International transshipment port), ग्रीनफील्ड अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (Greenfield International Airport), नवीन टाउनशिप और ऊर्जा संयंत्र (Energy Plant )भी शामिल हैं। नीति आयोग और अंडमान-निकोबार आइलैंड्स इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (ANIIDCO) के तहत इसे लागू किया जा रहा है। इस परियोजना का सबसे बड़ा आकर्षण है गालाथेया खाड़ी में बनने वाला गहरे समुद्र का बंदरगाह, जो मलक्का जलडमरूमध्य के निकट स्थित होगा। हम आपको बता दें कि यह क्षेत्र दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री मार्गों में से एक है, जहां से लगभग 30-40 प्रतिशत वैश्विक व्यापार और चीन की अधिकांश ऊर्जा आपूर्ति गुजरती है।
Highlights
✅ भारत का ग्रेट निकोबार परियोजना आर्थिक ही नहीं, सामरिक हिसाब से भी बहुत महत्वपूर्ण होने वाला है।
✅ इस योजना के तहत अंतरराष्ट्रीय ट्रांसशिपमेंट पोर्ट, अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, टाउनशिप और ऊर्जा संयंत्र बनेंगे।
✅ ग्रेट निकोबार परियोजना का बजट करीब ₹81,000 करोड़ के लगभग एलॉट किया गया है।
✅ ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट से चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ रणनीति के मुकाबले भारत को एक मजबूत विकल्प मिलेगा।
✅ विपक्ष का आरोप है कि परियोजना को मंजूरी देते समय मौजूदा सरकार वन अधिकार अधिनियम जैसे संवैधानिक प्रावधानों की अवहेलना की।
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भारत का खूबसूरत अंडमान निकोबार द्वीप समूह। |
सामरिक दृष्टि से ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट का महत्व:
भारत के ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट की सामरिक निहितार्थों (strategic implications) की बात करें, तो आपको बता दें कि इससे चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ रणनीति के मुकाबले भारत को एक मजबूत विकल्प मिलेगा। साथ ही यहां बनने वाला प्रस्तावित हवाई अड्डा यहां के नागरिको और सेना दोनों के प्रयोजनों की पूर्ति करेगा। जिससे अंडमान-निकोबार कमांड की कार्यक्षमता में ज्यादा बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा 2004 की सुनामी ने यह स्पष्ट कर दिया था कि इस क्षेत्र में त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता (Quick Response Capability) कितना जरूरी है। इसलिए यहां बनने वाला नया बंदरगाह (Port) और हवाई अड्डा (Airport) इस कमी को दूर करेंगे। वहीं अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ Quard में भारत की साझेदारी और भी मजबूत होगी, जिससे हिंद-प्रशांत (Indo-Pacific) में स्वतंत्र नौवहन (Freedom of Navigation) सुनिश्चित होगा।
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इस प्रोजेक्ट को लेकर पर्यावरणविदों की आशंका:
परंतु इसके साथ-साथ यह प्रश्न भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि क्या विकास की यह राह हमारे पर्यावरणीय संतुलन और जनजातीय समुदायों के अस्तित्व की कीमत पर तय की जानी चाहिए? विपक्ष और पर्यावरणविदों की आशंकाओं की चर्चा करें तो यह ध्यान रखना होगा कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। इसलिए इस परियोजना को लेकर गंभीर आपत्तियां भी सामने आ रही हैं। स्वतंत्र अनुमानों के अनुसार, इस परियोजना में 8.5 लाख से 58 लाख तक पेड़ों की कटाई हो सकती है। इससे निकोबार मेगापोड और लेदरबैक कछुए जैसे दुर्लभ जीव प्रजातियां संकट में पड़ सकती हैं। इसके अलावा, शॉम्पेन और निकाबारी जनजातियां, जो ‘विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह’ (PVTG) में आती हैं, उन्हें डर है कि कहीं वह अपनी भूमि और संस्कृति को ना खो दें।
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ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट को लेकर BJP और Congress में बहस:
Conclusion:
वैसे इसमें कोई दो राय नहीं कि ग्रेट निकोबार परियोजना भारत की सामरिक महत्वाकांक्षाओं को नई ऊँचाई दे सकती है। यह न केवल चीन की बढ़ती गतिविधियों का संतुलन साधेगी बल्कि भारत को हिंद-प्रशांत में एक सुरक्षा प्रदाता के रूप में स्थापित करेगी। परंतु यदि यह परियोजना जनजातीय अस्तित्व और पर्यावरणीय स्थिरता को मिटाकर आगे बढ़ती है, तो इसका लाभ अल्पकालिक और क्षति दीर्घकालिक होगी। इसलिए आवश्यक है कि सरकार विकास और संरक्षण के बीच संतुलन साधे। पारदर्शी ढंग से परियोजना की स्वतंत्र समीक्षा कराई जाए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों की पूर्ति स्थानीय समुदायों और प्राकृतिक धरोहरों के नुकसान पर न हो।
Disclaimer: यह लेख सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए सोशल मीडिया पोस्ट पर आधारित है। News Subah Ki ने पोस्ट में किए गए दावों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की है, और न ही उनकी सटीकता की गारंटी देता है। व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक रूप से News Subah Ki के विचारों को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं। पाठक विवेक का प्रयोग करें