DRDO Kaveri derivative Engine 80 kN: डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) की प्रयोगशाला में गैस टरबाइन रिसर्च एस्टेब्लिशमेंट (GTRE) ने स्वदेशी जेट इंजन के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है। GTRE ने 'कावेरी डेरिवेटिव इंजन' यानी (KDE) के नए वर्जन का सार्वजनिक रूप से अनावरण किया है, जिसमें पहली बार आफ्टरबर्नर तकनीक को जोड़ा गया है।
![]() |
भारत का कावेरी जेट इंजन जिसे DRDO और GTRE ने निर्मित किया है। |
News Subah Ki: पूरी दुनिया में जेट इंजन के मामले में अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक, ब्रिटिश कंपनी रोल्स रॉयल और फ्रांसीसी कंपनी सैफ्रन की एक छत्र राज है। इनकी जेट इंजन की टेक्नोलॉजी और तकनीक सबसे बेहतर मानी जाती है। इन्हीं के जेट इंजन आज लगभग 70 से 80 प्रतिशत एयरक्राफ्ट और लड़ाकू विमानों में इस्तेमाल किए जाते हैं। इसलिए जेट इंजन में इन विदेशी कंपनियों का एकाधिकार एवम् अधिपत्य चलता है। भारत को भी इन विदेशी कंपनियों पर ही निर्भर रहना पड़ता है, जिसके चलते बहुत सारे प्रोजेक्ट अधर में लटके पड़े हैं।
इसलिए भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, गैस टरबाइन रिसर्च एस्टेब्लिशमेंट (GTRE) ने अपने महत्वाकांक्षी कावेरी इंजन परियोजना में एक बड़ी सफलता हासिल की है। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) की इस प्रमुख प्रयोगशाला ने 'कावेरी डेरिवेटिव इंजन' (KDE) के मॉडर्न वर्जन को दुनिया के सामने पेश किया है, जिसमें आफ्टरबर्नर तकनीक को जोड़ा गया है। यह आफ्टरबर्नर से लैस कावेरी इंजन न केवल पुराने कावेरी इंजन की कमियों को दूर करेगा, बल्कि यह भारत को विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम करने में भी मदद करेगा।
Highlights
✅ दुनिया में जेट इंजन के मामले में अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक, ब्रिटिश कंपनी रोल्स रॉयल और फ्रांसीसी कंपनी सैफ्रन का एक छत्र राज है।
✅ DRDO द्वारा निर्मित कावेरी जेट इंजन इन विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर भारत की निर्भरता कम करने में मदद करेगा।
✅ कावेरी जेट इंजन LCA-तेजस में इस्तेमाल होने वाले GE F404-IN20 इंजनों का एक प्रभावी एवं स्वदेशी विकल्प बन सकता है।
✅ यह इंजन न केवल आत्मनिर्भर भारत अभियान के अनुरूप है, बल्कि यह भविष्य में निर्यात के अवसर भी खोल सकता है।
भारतीय कावेरी इंजन की कुछ खास बातें:
![]() |
भारत का कावेरी जेट इंजन जिसे DRDO और GTRE ने निर्मित किया है। |
मूल रूप से गैस टरबाइन रिसर्च एस्टेब्लिशमेंट (GTRE) GTX-35VS कावेरी टर्बोफैन का एक बिना आफ्टरबर्नर वाला वेरिएंट, कावेरी डेरिवेटिव इंजन (KDE) पहले ही 49 से 52 kN का थ्रस्ट उत्पन्न कर चुका है, जो मानव रहित विमानों (UAV) के लिए रखे गए 46 kN के शुरुआती लक्ष्य से कहीं ज्यादा है।
वहीं, आफ्टरबर्नर को जोड़ने से इसकी आउटपुट क्षमता में काफी सुधार होने का अनुमान है। अनुमानों के अनुसार, यह आफ्टरबर्नर वाला इंजन 73 से 80 kN की रेंज का थ्रस्ट दे सकता है, जो इसे GE F404 जैसे विदेशी इंजनों के बराबर ला देगा।
आफ्टरबर्नर एक ऐसी तकनीक है, जो इंजन के निकास में अतिरिक्त ईंधन डालकर थ्रस्ट को तेजी से बढ़ाती है। यह इंजन, जिसे रोबोटिक स्टील्थ प्रिसिजन अटैक (RSPA) मानव रहित लड़ाकू हवाई वाहन (UCAV) जैसे ड्रोन को पावर देने के लिए डिजाइन किया गया है, भारत के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
संबंधित खबरें
3. महंगे विदेशी लड़ाकू विमानों पर भारी पड़ेगा, अपना देसी तेजस मार्क-2! भारत के लिए कौन होगा फायदेमंद?
क्या है, कावेरी जेट इंजन के भविष्य की योजनाएं?
![]() |
भारत का कावेरी जेट इंजन जिसे DRDO और GTRE ने निर्मित किया है। |
इस सफलता से यह उम्मीद जगी है, कि भविष्य में कावेरी डेरिवेटिव इंजन (KDE) के आफ्टरबर्नर से लैस 90 kN का वेरिएंट (Kaveri 2.0) तेजस MK1A को भी शक्ति दे सकता है। इस इंजन को पहले से ही LCA-तेजस लड़ाकू विमान की उड़ान टेस्टिंग के लिए मंजूरी मिल चुकी है।
वहीं, यह कावेरी जेट इंजन LCA-तेजस लड़ाकू विमान में इस्तेमाल होने वाले जनरल इलेक्ट्रिक का F404-IN20 इंजनों का एक प्रभावी एवं स्वदेशी विकल्प बन सकता है, जिससे भारत की विदेशी कंपनियों पर से निर्भरता कम होगी।
साथ ही, गैस टरबाइन रिसर्च एस्टेब्लिशमेंट (GTRE) द्वारा एडवांस कंपोनेंट और बेहतर कंप्रेसर व टरबाइन डिजाइन का इस्तेमाल वर्षों के रिसर्च और डेवलपमेंट की मेहनत है। यह इंजन न केवल आत्मनिर्भर भारत अभियान के अनुरूप है, बल्कि यह भविष्य में निर्यात के अवसर भी खोल सकता है, जिससे भारत एक वैश्विक रक्षा आपूर्तिकर्ता के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है।
Disclaimer: यह लेख सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए सोशल मीडिया पोस्ट पर आधारित है। News Subah Ki ने पोस्ट में किए गए दावों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की है, और न ही उनकी सटीकता की गारंटी देता है। व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक रूप से News Subah Ki के विचारों को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं। पाठक विवेक का प्रयोग करें।