सुखोई SU- 57 लड़ाकू विमान डील: भारत के साथ रूस की 5th जेनरेशन सुखोई SU-57 लड़ाकू विमान का डील लगभग फाइनल हो गया है, जिसमें भारत को 42 सुखोई SU-57 लड़ाकू विमान एक दम रेडी हालत में मिलेगा और बाकी मेक इन इंडिया के तहत भारत के महाराष्ट्र में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के नासिक प्लांट में ही विकसित किया जाएगा।
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रूस का सुखोई SU-57 लड़ाकू विमान, जो भारत आने वाला है |
News Subah Ki: भारत और रूस के बीच एक ऐतिहासिक डील फाइनल हुआ है, जिससे अमेरिका सहित कई यूरोपियन देश भी नाराज हो सकते हैं। यह डील है, रूस के 5th जेनरेशन सुखोई SU-57 लड़ाकू विमान का जो लगभग फाइनल हो गया है, यह डील 100% टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (TT) के साथ मेक इन इंडिया के तहत जॉइंट वेंचर में होगा। इस रूसी लड़ाकू विमान को यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन (UAC) और सुखोई डिजाइन ब्यूरो ने मिलकर बनाया है। अब इसको भारत और रूस की कंपनिया मिलकर महाराष्ट्र के हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के नासिक प्लांट में विकसित करेंगे। इस डील में भारत को 42 सुखोई SU-57 लड़ाकू विमान एक दम रेड्डी कंडीशन में मिलेगा। जिसमे से 24 लड़ाकू विमान लगभग 6 से 10 महीनो के अंदर ही मिल जाएगा। और बाकी 12 से 18 महीनो में डिलीवर कर दिया जाएगा।
Highlights
✅ सुखोई SU-57 को यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन और सुखोई डिजाइन ब्यूरो ने बनाया है।
✅ इस डील में भारत को 42 सुखोई SU-57 लड़ाकू विमान एक दम रेड्डी कंडीशन में मिलेगा।
✅ हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के नासिक प्लांट में होगा सुखोई SU-57 का निर्माण।
✅ स्टेल्थ टेक्नोलॉजी (ST) के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस है सुखोई SU-57 विमान।
✅ सुखोई SU-57 डील को लेकर अमेरिका से जो डर था, आखिर वहीं हुआ।
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सुखोई SU-57 लड़ाकू विमान, जो भारतीय वायुसेना में शामिल होगा |
क्यों खास है, सुखोई SU- 57 लड़ाकू विमान:
स्टील्थ तकनीक: सुखोई SU-57 लड़ाकू विमान को कम रडार क्रॉस-सेक्शन (RCS) के साथ डिज़ाइन किया गया है, जिससे यह दुश्मन के रडार सिस्टम के लिए कम दिखाई देता है। पांचवी पीढ़ी के विमानों की सबसे बड़ी खूबी है, इनकी स्टेल्थ टेक्नोलॉजी आसान भाषा में कहें तो ये वो तकनीक है, जिससे विमानों को किसी रडार द्वारा डिटेक्ट कर पाना लगभग नामुमकिन होता है। ये विमान रडार की तरंगों को सोख कर उन्हें गर्मी के रूप में रेडिएट कर देते हैं, या उन्हें पूरी तरह से सोख लेते हैं। इस तकनीक में विमान के शेप का रोल बहुत ही अहम होता है। और यहीं पर सुखोई SU-57 आलोचकों के निशाने पर है। उनके मुताबिक इस विमान की सतह या बॉडी पूरी तरह से चिकनी या स्मूथ नहीं है। लिहाजा अगर ये किसी दुश्मन एयरस्पेस में मैनुवर करता है, तो रडार द्वारा इसके डिटेक्ट होने की संभावना थोड़ी बढ़ जाती है।
एवियोनिक्स और सेंसर: इसमें उन्नत एवियोनिक्स, एयरबोर्न एक्टिव फेज्ड एरे (AESA) रडार और इंफ्रारेड सर्च एंड ट्रैक (IRST) सिस्टम शामिल हैं।
सुपरक्रूज़ क्षमता: यह विमान सुपरसोनिक गति (बिना एफ्टरबर्नर के) पर उड़ान भर सकता है, जो इसे ईंधन की बचत और लंबी दूरी की क्षमता प्रदान करता है। इस फाइटर जेट की अधिकतम गति (मैक-2) यानि लगभग 2,450 कि.मी. प्रति घंटा है।
वेपन सिस्टम: इसमें आंतरिक और बाहरी हथियार बे शामिल हैं, जो इसे विभिन्न प्रकार के मिसाइल और बम ले जाने की अनुमति देते हैं।
मैन्युवरेबिलिटी: सुखोई SU-57 लड़ाकू विमान में थ्रस्ट वेक्टरिंग तकनीक है, जो इसे उच्च स्तर की मैन्युवरेबिलिटी प्रदान करती है।
इंजन और रेंज: इस फाइटर जेट्स में 2× Saturn AL-41F1 इंजन दिया गया है। कंपनी ने कहा भविष्य में इसे Izdeliye 30 इंजन से अपग्रेड किया जाएगा। अब इसके रेंज की बात करे तो लगभग 3,500 से 4,500 कि.मी. (फ्यूल टैंक के साथ) इस फाइटर जेट के रेंज की जानकारी प्राप्त हुआ है।
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भारतीय वायुसेना का सिकंदर बनने को तैयार |
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HAL के नासिक प्लांट में होगा निर्माण:
इस बीच रूस से भारत को नया ऑफर मिला है। सुखोई विमान बनाने वाली रूसी कंपनी Rosoboron Export ने कहा है कि भारत चाहे तो बेहद कम समय में सुखोई SU-57 लड़ाकू विमानों का अपने यहां प्रोडक्शन शुरू कर सकता है। कंपनी ने शुक्रवार को बकायदा एक बयान जारी कर कहा है, कि वह भारत को पांचवी पीढी का विमान देने के लिए हर तरह की मदद करने को तैयार है। भारत पहले से ही सुखोई SU-30 MKI लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल कर रहा है। ये 4+ पीढ़ी के बेहद घातक विमान हैं। टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (TOT) के तहत भारत में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के प्लांट में 222 विमान असेंबल किए जा चुके हैं।
रोसोबोरों एक्सपोर्ट (Rosoboron Export) ने इसके साथ ही भारत की जरूरत के हिसाब से पूरी तरह एक नए विमान को भारत के साथ मिलकर विकसित करने का ऑफर दिया है। ये विमान भारत में बनेंगे और उस हर एक चीज और हथियार भारत की जरूरत के हिसाब से लगाए जाएंगे। जानकार भी रोसोबोरों एक्सपोर्ट (Rosoboron Export) के इस बयान की पुष्टि करते हैं। उनका यहां तक कहना है, कि भारत और रूस मिलकर जो पांचवीं पीढ़ी के विमान बनाने की बात कर रहे हैं, उसका नाम सुखोई SU-60 होगा, जो कई मामलों में सुखोई SU-57 लड़ाकू विमान से काफी उन्नत विमान होगा।
रूस पांचवीं पीढ़ी के विमान उपलब्ध कराने में भारत की हर तरह से मदद करना चाहता है। भारत भी इसको लेकर बेहद गंभीर है। क्योंकि चीन ने अपने बेड़े में पांचवीं पीढ़ी के दो विमान शामिल कर लिया है। साथ ही उसने पाकिस्तान को भी 5वीं पीढ़ी के J-35 लड़ाकू विमान देने वाला हैं। पाकिस्तान के सैन्य बेड़े में 2029 तक ये विमान शामिल हो जाएंगे।
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भारतीय वायुसेना का हिस्सा बनने को तैयार |
अमेरिका से जो डर था, आखिर वहीं हुआ:
दुनिया में कोई भी देश हो, अगर उस पर अमेरिका किसी तरह के प्रतिबंध लगाता है, तो निश्चित तौर पर उसे कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसा नहीं है, कि सुखोई SU-57 एक बिल्कुल ही औसत फाइटर जेट हो, कई देशों की सामरिक जरूरतों को ये बखूबी पूरा करता है। कई देश इसे खरीदना भी चाहते हैं पर उन्हें डर है कि इस कारण उन्हें अमेरिका द्वारा कई तरह के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। ठीक यही चिंता भारत की भी है। रूस भारत का एक अहम और पुराना डिफेंस पार्टनर है, भारत के अमेरिका से भी अच्छे संबंध हैं।
अगर भारत रूस से सुखोई SU-57 लड़ाकू विमान की डील करता है, तो उसे अमेरिका की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही भविष्य में कनाडा और खालिस्तान जैसे मुद्दों पर भारत को अमेरिका का साथ जरूरी है। वहीं UN में पाकिस्तान को काउंटर करने में भी अमेरिकन सहयोग का अहम रोल रहता है। आखिर भारत ने अमेरिका और कई यूरोपियन देशों को ठेंगा दिखाते हुए अपने पुराने दोस्त रूस के साथ सुखोई SU-57 लड़ाकू विमानों का डील कर ही लिया।
इससे भारत पर कोई खास असर नहीं:
खैर कोई बात नहीं ये तो अनुमानित ही था कि रूस से भारत का कोई भी डील फाइनल होगा तो अमेरिका प्रतिबंध वाला दांव जरूर चलेगा। मगर सोचने वाली बात ये है कि भारतीय सेना के लिए जो भी उचित और देशहित में डील सौदा होगा उसे भारत सरकार जरूर करेगी चाहे प्रतिबंध लगे या न लगे, क्योंकि यह पहले वाला भारत नहीं है, बल्कि यह आज का आत्मनिर्भर भारत है दुनिया की टॉप पांच अर्थव्यवस्था में शामिल। और बहुत जल्द तीसरी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इसलिए कोई भी प्रतिबंध अब भारत को डरा नहीं सकता है और इसका कोई असर नहीं होने वाला है।
Disclaimer: यह लेख इंटरनेट पर आधारित है। इस लेख में लेखक की तरफ से कई त्रुटियां हो सकती हैं, इसलिए 100% सही होने की गारंटी नहीं दिया जा सकता है। इसीलिए इस लेख पर किसी प्रकार का दावा या क्लेम नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह अनुचित एवम् अमान्य माना जायेगा।
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