ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों ने अपने घातक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का इस्तेमाल किया था। इस मिसाइल के इस्तेमाल से पाकिस्तान में हाहाकार मच गया था। दुनिया के कई देश इस ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के मुरीद हो गए हैं, और वे इसे खरीदना चाहते हैं।
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भारतीय सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल |
News Subah Ki: काश्मीर के पहलगाम में हिन्दू टूरिस्टों के नरसंहार के बाद भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने इसके जिम्मेदारों को मिट्टी में मिलाने का वादा किया था। देश के आर्म्ड फोर्सेज ने इस वादे को पूरा भी किया। ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के प्रहार से पाकिस्तान और उसके पाले आतंकी बिलबिला उठे। ऑपरेशन सिंदूर में जिस ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का इस्तेमाल किया गया, दुनिया के कई देश उसके दीवाने हैं। दर्जन भर से ज्यादा देश ब्रह्मोस मिसाइल को खरीदने के लिए आतुर हैं। ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के घातक प्रभाव को इसी बात से समझा जा सकता है कि यह जमीन, हवा और पानी कहीं से भी मार करने में सक्षम है। इसका मतलब यह हुआ कि ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल जमीन, आकाश और समंदर कहीं से भी दुश्मनों को खाक में मिलाने में सक्षम है। पाकिस्तान ने इसका नमूना भी देख लिया है। ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के प्रहार से पाकिस्तान इस कदर आतंकित हुआ कि सीजफायर करने के लिए तत्काल सहमत हो गया।
ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस के संयुक्त प्रयास से विकसित की गई सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल अपनी हाई-स्पीड और सटीकता के लिए जानी जाती है। यह आर्म्ड फोर्सेज की विभिन्न तरह की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है। वर्तमान में फिलीपींस ऐसा देश है, जिसने ब्रह्मोस मिसाइल की खरीद के लिए भारत के साथ कॉन्ट्रैक्ट किया है। जनवरी 2022 में फिलीपींस ने $375 मिलियन का समझौता किया था, जिसके तहत उसे तीन कोस्टल डिफेंस बैटरी की आपूर्ति की जानी थी। पहली बैटरी अप्रैल 2024 और दूसरी अप्रैल 2025 में सप्लाई की गई। इसके अलावा भी कई ऐसे देश हैं, जिन्होंने ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल खरीदने में अपनी रुचि दिखाई है। ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के प्रचंड प्रहार को देखकर दुनिया अब इसकी दीवानी हो गई है।
हाइलाइट्स
✅ दुनिया के कई देश घातक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल खरीदने को हैं तैयार।
✅ ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस मिसाइल की प्रचंडता देख दुनिया भौंचक।
✅ भारत और रूस ने साथ मिलकर इस मिसाइल को डेवलप किया है।
✅ भारत के ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल की कुछ निम्नलिखित ख़ासियतें।
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भारतीय सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल |
ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने वाले देशों के कुछ नाम:
कई देशों ने भारत के ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने में अपनी रुचि दिखाई है, और भारत के साथ बातचीत कर रहे हैं।
इंडोनेशिया: ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के एडवांस्ड वर्जन (ब्रह्मोस NG) की खरीद के लिए $200–$350 मिलियन के सौदे पर बातचीत चल रही है।
वियतनाम: $700 मिलियन के सौदे की योजना है, जिसमें आर्मी और नेवी दोनों के लिए मिसाइलों की आपूर्ति शामिल है।
मलेशिया: अपने सुखोई SU-30MKM लड़ाकू विमानों और क्लास युद्धपोतों के लिए मिसाइलों की खरीद पर विचार कर रहा है।
थाईलैंड, सिंगापुर, ब्रुनेई: इन दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों ने ब्रह्मोस मिसाइल में रुचि दिखाई है, और खरीद पर बातचीत के विभिन्न चरणों में हैं।
ब्राजील, चिली, अर्जेंटीना, वेनेजुएला: इन लैटिन अमेरिकी देशों ने ब्रह्मोस मिसाइल की खरीद में इंट्रेस्ट दिखाया है। विशेष रूप से नौसैनिक और तटीय रक्षा संस्करणों में।
मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), कतर, ओमान: इन मध्य पूर्वी देशों ने ब्रह्मोस मिसाइल की खरीद में रुचि दिखाई है, और कुछ के साथ बातचीत एडवांस्ड स्टेज में है।
दक्षिण अफ्रीका, बुल्गारिया: इन देशों ने भी ब्रह्मोस मिसाइल में रुचि दिखाई है, और बातचीत के विभिन्न चरणों में हैं।
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ब्रह्मोस मिसाइल की निम्नलिखित खासियतें:
ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस के संयुक्त उद्यम (DRDO और NPO Mashinostroyeniya) द्वारा विकसित विश्व की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। पहली मिसाइल का परीक्षण 12 जून 2001 को किया गया था, और तब से इसे और एडवांस बनाया जा रहा है। इसकी प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं।
गति:
इस मिसाइल का स्पीड लगभग मैक 2.8-3.0 (ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना) के करीब है।जो इसे अमेरिका की टॉमहॉक मिसाइल से दोगुनी तेज बनाती है।
रेंज:
यह शुरुआत में लगभग 290 कि.मी. का रेंज हासिल किया था। जो अब नवीनतम संस्करण में 450-800 कि.मी. तक बढ़ाई गई है। भारत के MTCR में शामिल होने के बाद रेंज बढ़ाना संभव हुआ है।
प्लेटफॉर्म क्षमता:
इसे जमीन, समुद्र, पनडुब्बी, और हवा (सुखोई SU-30MKI) से लॉन्च किया जा सकता है।
फायर एंड फॉरगेट: लॉन्च के बाद मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं होती है, जिससे यह “दागो और भूल जाओ” सिद्धांत पर काम करती है।
मैन्यूवरेबिलिटी:
यह मिसाइल लक्ष्य के मार्ग बदलने पर भी यह अपना मार्ग समायोजित कर सटीक निशाना लगा सकती है। यह मिसाइल 200-300 किलोग्राम तक पेलोड, पारंपरिक या परमाणु वारहेड ले जाने में सक्षम है।
स्टेल्थ और सटीकता:
यह मिसाइल कम ऊंचाई (10 मीटर) पर उड़ान भरती है, जिससे इसका रडार से बचने की क्षमता प्रबल हो जाती है, और अत्यधिक सटीक निशाना लगाती है। यह आधुनिक हवाई रक्षा प्रणालियों (S-400) को चकमा देने में सक्षम है।
Disclaimer: यह लेख इंटरनेट पर आधारित है। इस लेख में लेखक की तरफ से कई त्रुटियां हो सकती हैं, इसलिए 100% सही होने की गारंटी नहीं दिया जा सकता है। इसीलिए इस लेख पर किसी प्रकार का दावा या क्लेम नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह अनुचित एवम् अमान्य माना जायेगा।