News Subah Ki: डिफेंस की दुनिया में जापान ने नया चमत्कार करते हुए भविष्य का हथियार 'रेलगन' बना लिया है। अमेरिका ने थक हारकर इस प्रोजेक्ट को बंद कर दिया था, जबकि चीन बार-बार नाकाम होने के बाद भी रेलगन बनाने के लिए अभी भी संघर्ष कर रहा है। जापान ने अपनी नेवी के जहाज JS Asuka पर एडवांस रेलगन का सफल समुद्री परीक्षण किया है। यह हथियार चीन और उत्तर कोरिया की हाइपरसोनिक मिसाइलों को रोकने में सक्षम है।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार जापान (Japan) अपनी रक्षा नीति में एक आक्रामक और टेक्नोलॉजिकल बदलाव की ओर अग्रसर है। हाल ही में जापान ने अपनी नौसेना के परीक्षण जहाज JS Asuka पर विद्युतचुंबकीय रेलगन (Electromagnetic Railgun) का सफलतापूर्वक समुद्री परीक्षण किया। यह परीक्षण न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से जरूरी है, बल्कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सामरिक स्थिति को भी बदल सकता है। चीनी एक्सपर्ट्स ने चिंता जताते हुए कहा है कि जापान के इस हथियार से क्षेत्रीय सुरक्षा पर असर पड़ता है।
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जापान का इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेलगन |
Highlights
✅ 'रेलगन' बनाने वाला दुनिया का पहला देश बना जापान।
✅ अमेरिका बंद कर चुका है यह प्रोजेक्ट, चीन की अभी कोशिश जारी।
✅ जापान के नये हथियार इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेलगन को लेकर चीन ने जताई चिंता।
✅ आज पूरे विश्व में जापान जैसे हथियार टेक्नोलॉजी कहीं और नहीं है।
✅ यह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फोर्स के जरिए प्रोजेक्टाइल को बेहद ही हाई स्पीड से दागती है।
जापान का एडवांस इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेलगन:
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद हथियार बनाने वाली जापानी कंपनियां अगर हथियार बनाना बंद नहीं करतीं, तो आज जापान जैसी हथियार टेक्नोलॉजी कहीं नहीं होती। चीन का खतरा बढ़ने के बाद जापान एक बार फिर से हथियार बनाने की दुनिया में ना सिर्फ प्रवेश कर चुका है, बल्कि टेक्नोलॉजिकल चमत्कार भी कर रहा है। पिछले हफ्ते जापान ने एडवांस इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेलगन का समुद्री टेस्ट किया है, जिसे चीन और उत्तर कोरिया परेशान हो गये हैं। जापान ने अपने इस हथियार को चीन, उत्तर कोरिया और रूस की हाइपरसोनिक मिसाइलों का मुकाबला करने के लिए तैयार किया है। जापान की डिफेंस मिनिस्ट्री ने इस हफ्ते रेलगन की तस्वीरें जारी की हैं।
रेलगन को नेक्स्ट जेनरेशन हथियार माना जाता है, जिसे इस महीने की शुरुआत में योकोसुका बंदरगाह में JS Asuka पर समुद्री परीक्षण के लिए रवाना होने से पहले देखा गया था। ऑब्जर्वर्स का कहना है, कि जापान अपनी एयर डिफेंस सिस्टम को मजबूत करने के लिए ए़डवांस हथियारों का निर्माण कर रहा है। इसके साथ ही जापान के पास सबसे एडवांस हथियारों वाली नौसेना हो सकती हैं। रैंड कॉर्पोरेशन के एक वरिष्ठ अंतरराष्ट्रीय रक्षा शोधकर्ता टिमोथी हीथ के मुताबिक, इस तकनीक का जापानी विकास, चीन की लगातार अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने की वजह से लिया गया है।
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जापान का इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेलगन |
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जापान बनाया नेक्स्ट जेनरेशन हथियार 'रेलगन':
टिमोथी हीथ के मुताबिक, चीन के पास बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक मिसाइलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए जापान ने इसे बनाया है। ये देश जापान को निशाना बना सकते हैं। हालांकि, पूर्व PLA प्रशिक्षक सोंग झोंगपिंग ने साउथ चायना मॉर्निंग पोस्ट से कहा कि पारंपरिक तोपखाने की तुलना में, विद्युत चुम्बकीय बंदूक लक्ष्यों पर हमला करने के लिए एक नए सिद्धांत का उपयोग करती है, और इसकी हमला करने की शक्ति और सटीकता काफी ज्यादा होती है। उन्होंने कहा कि अगर जापान इस प्रकार का हथियार विकसित करता है, और इसे तैनात करता है, तो इसका मतलब होगा कि जापान एक आक्रामक रणनीति को शुरू कर चुका है, जो अन्य देशों और क्षेत्र के लिए खतरा काफी गंभीर होगा।
रेलगन को क्यों कहा जाता भविष्य का हथियार?
रेलगन एक विद्युतचुंबकीय (Electromagnetic) हथियार सिस्टम है, जो पारंपरिक तोपों की तरह विस्फोटक का इस्तेमाल नहीं करती, बल्कि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फोर्स के जरिए प्रोजेक्टाइल को बेहद ही हाई स्पीड से दागती है। JS Asuka पर स्थापित यह प्रणाली 40mm स्टील प्रोजेक्टाइल को लगभग 2,500 मीटर प्रति सेकंड (5,600 मील प्रति घंटा) है। प्रोजेक्टाइल वजन 320 ग्राम होता है। इसकी स्पीड साउंड से 6.5 गुना ज्यादा है। इसके बैरल की लंबाई लगभग 20 फीट और वजन लगभग 8 MT के करीब है। यह रेलगन यानि विद्युतचुंबकीय हथियार सिस्टम हाइपरसोनिक मिसाइलों और तेज गति से उड़ने वाले लड़ाकू विमानों को भी निशाना बना सकने में सक्षम है।
क्यों है, यह चीन और उत्तर कोरिया के लिए चिंता का विषय?
जैसे ही जापान ने रेलगन का टेस्ट किया, चीन और उत्तर कोरिया की चिंता बढ़ गई है। इसका कारण यह है कि यह हथियार पारंपरिक रक्षा प्रणाली से कहीं ज्यादा तेज, सटीक और प्रभावशाली है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जापान की यह तकनीक चीन की हाइपरसोनिक मिसाइल क्षमताओं के लिए बड़ा खतरा बन सकती है। चीनी सेना के एक पूर्व ट्रेनर ने इस हथियार को जापान के “आक्रामक रणनीति की शुरुआत” बताया है। उन्होंने चेतावनी दी कि जापान का यह कदम एशिया के बाकी देशों के लिए भी सामरिक तनाव बढ़ा सकता है। वहीं चीन अभी भी रेलगन बनाने की कोशिश कर ही रहा है।
अमेरिका ने भी शुरू किया था, प्रोजेक्ट:
जापान ने साल 2016 में इस तकनीक पर काम करना शुरू किया था। जबकि चीन, अमेरिका समेत कई और देश इसे बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई इसे बना नहीं पाया हैं, सिवाए जापान के। अमेरिका ने भी इस रेलगन प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया था, लेकिन 2021 में इसे बीच में ही छोड़ दिया। चीन को भी अबतक इसमें सफलता नहीं मिली है, और वो इस पर अभी भी काम कर रहा है। इसलिए जापान की यह सफलता उसे वैश्विक सैन्य तकनीक की दौड़ में एक निर्णायक बढ़त दे सकती है।
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