अमेरिका, चीन और उत्तर कोरिया ने बनाए तीन अनोखे हथियार जिसे देख कर पूरी दुनिया हो गई दंग!

News Subah Ki: अमेरिका ने एक बहुत ही उम्दा और शानदार हथियार बनाया है, जिसका नाम हाई-पावर माइक्रोवेव (HPM) लियोनिडास है। जो बहुत ही तगड़ा बिजली का झटका पैदा करता है, जिसका उपयोग सैकड़ों ड्रोन पर एक साथ करके नेस्तनाबूत कर सकता है। वहीं दूसरी तरफ चीन का डीप-सी केबल कटर नजर आया है, जो अगर ये समुद्र की गहराई में बिछी इंटरनेट की मोटी-मोटी केबल्स को काट दे तो पूरी दुनिया में इंटरनेट बंद हो जाएगा। और तीसरा है,नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन का एक नया 'खिलौना' सामने आया है। जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस एडवांस सुसाइड ड्रोन है। मार्च 2025 में चर्चा में आए ये तीनों अनोखे हथियार क्या हैं, और ये क्या काम कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं, इन तीनों अनोखे हथियारों के बारे मे पूरे विस्तार से।

  Highlights   

अमेरिका का लियोनिडास एक हाई-पावर काउंटर-इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम।

चीन का डीप-सी केबल कटर मशीन जो समुद्री केबल काट कर इंटरनेट ठप कर देगा।

उत्तर कोरिया ने इतने प्रतिबंध के बाद बनाया खतरनाक AI सुसाइड ड्रोन।

लियोनिडास हाई-पावर माइक्रोवेव सिस्टम
अमेरिकन लियोनिडास हाई-पावर काउंटर-इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम


1. लियोनिडास एक हाई-पावर काउंटर-इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम:

लियोनिडास एक हाई-पावर माइक्रोवेव यानी HPM सिस्टम है। यह सिस्टम एक तरह का बिजली का झटका पैदा करता है, जिससे टारगेट तबाह हो जाता है। यह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एनर्जी के इस्तेमाल से ड्रोन पर सटीक हमला करता है। इसे अमेरिका की डिफेंस टेक्नोलॉजी के स्टार्टअप एपिरस कॉर्पोरेशन ने बनाया है।

लियोनिडास ओवरहीट हुए बिना प्रति सेकेंड हजारों पल्स फायर कर सकता है। कई किलोमीटर तक हमला कर सकता है और सॉफ्टवेयर अपग्रेड से इसकी रेंज बढ़ाई जा सकती है। यह कम वोल्टेज पर काम कर सकता है और स्मार्टपावर यानी थर्मल एनर्जी से चलता है।

पारंपरिक HPM की तुलना में ये हल्का है, इसलिए इसके पोड को ड्रोन से कहीं भी ले जाया जा सकता है। इसे आर्म्ड व्हीकल्स और पोर्टेबल व्हीकल्स से जोड़ा जा सकता है। यह 360 डिग्री हमला करने में सक्षम है। इससे आयनाइजिंग रेडिएशन नहीं निकलते, जो सैनिकों के लिए खतरनाक होते हैं।

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लियोनिडास एक शॉट में 100 ड्रोन को कैसे मार सकता है? 

इस लियोनिडास हाई-पावर काउंटर-इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम के हमले की स्ट्रैटजी को 4 पॉइंट्स में समझते है।

1. शक्तिशाली माइक्रोवेव किरणें: गैलियम नाइट्राइड (GaN) बेस्ड टेक्नोलॉजी से माइक्रोवेव किरणें बनाता है। यह किरणें ड्रोन्स के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को निशाना बनाती हैं। गोला-बारूद की जरूरत नहीं होती, इसलिए यह बिजली से चलता है और एक सेकेंड में हजारों पल्स छोड़ सकता है।

2. बड़ा टारगेट एरिया: लियोनिडास एक सिकुड़ी गोली की बजाय चौड़ी किरणें यानी वाइड बीम छोड़ता है, जो एक साथ कई ड्रोन्स को कवर कर सकती हैं।

3. टारगेट की तबाही: माइक्रोवेव किरणें ड्रोन्स के सर्किट, बैटरी और कंट्रोल यूनिट में भारी करंट पैदा करती हैं। इससे ड्रोन्स के ये इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स तुरंत जल जाते हैं या बंद हो जाते हैं, जिससे ड्रोन हवा में ही गिर जाता है।

4. सॉफ्टवेयर से कंट्रोलिंग: इसका सॉफ्टवेयर कंट्रोल सिस्टम किरणों की दिशा और रफ्तार को कंट्रोल कर सकता है। यह दुश्मन के ड्रोन्स को चुनकर नष्ट करता है, जबकि अपने ड्रोन्स को बचा लेता है।

आधुनिक युद्ध में अहम साबित हो सकता है? लियोनिडास!

चाहे रूस-यूक्रेन जंग हो या इजराइल-हमास की लड़ाई। आधुनिक युद्ध में बड़े-बड़े टैंक भी छोटे-छोटे ड्रोन्स के सामने बेबस नजर आते हैं। इसलिए पूरी दुनिया ड्रोन्स के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है। ऐसे में हजारों ड्रोन्स को कुछ सेकेंड में भून सकने वाला लियोनिदास अहम हो जाता है।

लियोनिदास सिर्फ ड्रोन हमलों को रोकने तक सीमित नहीं है। इसका HPM सिस्टम कई तरह के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज को टारगेट करके ड्रोन्स से लेकर सैन्य UAV को भी तबाह कर सकता है। जैसे-यह उन जमीनी वाहनों को निशाना बना सकता है जो इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम पर चलते हैं, जैसे रिमोट कंट्रोल रोबोट, टैंक के कम्युनिकेशनल सिस्टम या ऑटोमेटेड सैन्य वाहन।

छोटे जहाजों या नावों के इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे नेविगेशन सिस्टम, रडार या वेपन कंट्रोलर को भी प्रभावित कर सकता है। हालांकि बड़े जहाजों पर यह बेअसर हो सकता है, क्योंकि इन जहाजों में EMP शील्ड यानी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स शील्ड लगी होती है। लियोनिदास दुश्मन के कम्युनिकेशन डिवाइसेज या सेंसर को जाम कर सकता है। यह माइक्रोवेव किरणों से उनके सर्किट को ओवरलोड करके बंद कर देता है।

लियोनिडास किन हथियारों को बेअसर कर सकता है? 

यह लियोनिडास हाई-पावर काउंटर-इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम से रूस के ओरलान-10 ड्रोन, लैंसेट ड्रोन और क्यूब-बीएलए UAV हों या चीन के विंग लूंग ड्रोन, CH-4 और CH-5 UAV या ईरान के शाहेद-136 ड्रोन, मोहाजेर-6 UAV हों। लियोनिदास के जरिए इन सभी ड्रोनों को बेअसर किया जा सकता है। इसके अलावा यह मिसाइलों के गाइडेंस सिस्टम या स्मार्ट वेपंस को भी बर्बाद कर सकता है, बशर्ते वे इलेक्ट्रॉनिक्स पर निर्भर हों और EMP प्रूफ न हों।

चीन का डीप-सी केबल कटर हथियार
चीन का डीप-सी केबल कटर हथियार


2. चीन की केबल कटर मशीन क्या है और इसे किसने बनाया? 

चीन का नया डीप-सी केबल कटर हथियार सेना के काम आने वाला एक सेंसिटिव और तकनीकी टूल है। इसे चाइना शिप साइंटिफिक रिसर्च सेंटर (CSSRC) और स्टेट की लेबोरेटरी ऑफ डीप-सी मैन्ड व्हीकल्स ने बनाया है। यह समुद्र के नीचे 4 हजार मीटर तक की गहराई में कम्युनिकेशंस और पावर केबल्स को काट सकता है।

इसमें 150ml का डायमंड-कोटेड ग्राइंडिंग व्हील है, जो रोबोटिक आर्म्स से ऑपरेट किया जाता है। यह मजबूत स्टील कोटेड तारों को भी आसानी से काट सकता है। यानी अगर ये समुद्र की गहराई में बिछी इंटरनेट की मोटी-मोटी केबल्स को काट दे तो पूरी दुनिया में इंटरनेट बंद हो जाएगा।

यह पावर केबल्स और दूसरी बख्तरबंद केबल्स यानी स्टील, रबर और पॉलिमर से बनी केबल्स को भी काट सकता है, जिनसे पूरी दुनिया में 95% डेटा ट्रांसमिशन होता है। इसमें टाइटेनियम से बनी धातु की ऊपरी कोटिंग की गई है, जो 400 ATM दबाव में भी इसे सुरक्षित रखता है। इस दबाव को ऐसे समझिए कि अगर पानी का 10.3 मीटर लंबा एक खड़ा कॉलम हो तो उसके नीचे का प्रेशर 1 ATM होगा।

चीन का खतरनाक केबल कटर समुद्र के अंदर कैसे काम करता है? 

इस केबल कटर में 1 KW की मोटर लगी है। यह बहुत टॉर्क पैदा करती है, यानी तेजी से घूमती है, जिससे सख्त केबल्स को काटना संभव हो जाता है। इसमें सबमर्सिबल रोबोटिक आर्म्स जुड़े होते हैं, यानी इस मशीन में ऐसे रोबोटिक हाथ हैं, जो समुद्र के अंदर इंसानी हाथ की तरह काम करते हैं।

केबल कटर के काम की प्रोसेस को पॉइंट्स में समझें।

✅ सबमर्सिबल आर्म्स में लगे सेंसर और कैमरे समुद्र तल पर तारों का पता लगाते हैं, जो आमतौर पर 2 हजार से 4 हजार मीटर की गहराई में बिछे होते हैं।

✅ रोबोटिक आर्म्स केबल कटर को केबल काटने के लिए सटीक स्थिति में लाते हैं।

✅ कम रोशनी में भी इसके सेंसर काम करते हैं।

✅ ग्राइंडिंग व्हील चालू होती है और तेज गति से घूमकर स्टील, रबर और पॉलिमर से बने मजबूत केबल्स को काट देती है।

4 हजार मीटर गहरे पानी में 400 ATM दबाव होता है, लेकिन इसका मजबूत डिजाइन इसे सुरक्षित रखता है। यह पूरी प्रोसेस मिनटों में पूरी हो सकती है और यह मशीन 4 डिग्री सेल्सियस के तापमान में भी बिना रुकावट काम कर सकती है। सबमर्सिबल्स के साथ कई सारी लाइट्स भी लगी होती हैं, जिससे समुद्र की गहराई के अंधेरे में भी बिना रुकावट काम चलता रहता है।

चीन ने महज केबल काटने के लिए घातक हथियार बनाया या वजह कुछ और?

चीन का यह हथियार समुद्री तल में बिछी उन इंटरनेट केबल्स को बर्बाद कर सकता है, जिनसे दुनियाभर को 95% इंटरनेट मिलता है। इस कारण अन्य देशों को चिंता है कि कहीं चीन इस हथियार का गलत इस्तेमाल न करे।

हालांकि केबल कटर बनाने वाली चीन की वैज्ञानिक रिसर्च टीम का दावा है, 'इस मशीन का इस्तेमाल समुद्र में विकास की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए किया जाएगा न कि किसी युद्ध क्षेत्र में। 21वीं सदी समुद्रों की सदी है। इसलिए चीन का फोकस समुद्र के अंदर विकास के नए रास्ते खोजना है।

उत्तर कोरिया का खतरनाक AI सुसाइड ड्रोन
उत्तर कोरिया का खतरनाक AI सुसाइड ड्रोन


3. उत्तर कोरिया ने इतने प्रतिबंध के बाद बनाया खतरनाक AI सुसाइड ड्रोन! 

रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस की मदद के लिए नॉर्थ कोरिया ने अपने 14 हजार सैनिक और 6700 कंटेनर हथियार भेजे हैं। बीते जनवरी और फरवरी में ही 3 हजार सैनिक भेजे गए हैं। साउथ कोरिया का दावा है, कि इनमें से 4 हजार सैनिक मारे गए हैं। बदले में रूस ने AI तकनीक से लैस ड्रोन के कुछ अंदरूनी हिस्से और पार्ट्स बनाने में मदद की।

उत्तर कोरिया का AI सुसाइड अटैक ड्रोन और काम कैसे करता हैं? 

उत्तर कोरिया का AI सुसाइड ड्रोन रॉकेट बूस्टर की मदद से हवा में उठता है, बाद में इंजन काम करने लगते हैं। इसमें फिक्स विंग्स और प्रोपेलर दिखाई दे रहे हैं। कहा जा रहा है कि उत्तर कोरिया बड़े पैमाने पर ऐसे ड्रोन बनाना चाहता है। इसलिए इसमें छोटे और सस्ते इलेक्ट्रॉनिक मोटर लगाए गए हैं।

उत्तर कोरिया के दावे के अनुसार ये मानवरहित ड्रोन AI का इस्तेमाल करके टारगेट की पहचान करता है और हवा में मंडराते हुए अपने टारगेट से टकरा जाता है। टक्कर होने पर इसमें मौजूद एक्सप्लोसिव फट जाते हैं। KCNA द्वारा जारी तस्वीरों में इसे कार और टैंक जैसे टारगेट्स को नष्ट करते दिखाया गया है।

ड्रोन एक्सपर्ट जेम्स पैटन रोजर्स ने BBC से कहा, 'मुद्दा ये है कि क्या इस ड्रोन के AI सिस्टम की एल्गोरिदम इतनी सिक्योर और भरोसेमंद है कि ये सटीक निर्णय ले सके। क्या हम मरने-जीने के फैसले के लिए मशीनों पर भरोसा करने के लिए तैयार हैं? अमेरिका ने भी AI ड्रोन बनाने के लिए डिफेंस कंपनी ‘एंडुरिल इंडस्ट्रीज’ से ₹5328 करोड़ रुपए की डील की है। अमेरिका AI मशीनगन ‘ बुलफ्रॉग’ भी बना रहा है।

ड्रोन के साथ ही सामने आया उत्तर कोरिया का अर्ली वार्निंग एयरक्राफ्ट ? 

एक तस्वीर में किम जोंग एक बड़े विमान में चढ़ते दिखाई दे रहे हैं। ये एक AEW एयरक्राफ्ट यानी एयरबोर्न अर्ली वार्निंग सिस्टम वाला विमान है। कम ऊंचाई पर उड़ने वाले टारगेट्स की निगरानी करके चेतावनी दे सकता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इसमें चार इंजन हैं। सबसे ऊपर सर्विलांस के लिए एक रडार डोम लगा हुआ है। ये अमेरिका के ऊंचाई पर उड़ने वाले RQ-4 ग्लोबल हॉक सर्विलांस एयरक्राफ्ट जैसा दिखता है।

वहीं उत्तर कोरिया का नया AEW एयरक्राफ्ट एक बड़े कॉमर्शियल विमान की तरह दिखता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इसमें सबसे ऊपर लगा रडार इसे दुश्मन के विमान और मिसाइलों की निगरानी करने में मदद करता है। ये एयरक्राफ्ट दुश्मन की किसी भी एक्टिविटी को लेकर अपनी सेना के दूसरे लड़ाकू विमानों को आगाह कर सकता है। साथ ही खुद भी हमला करने में सक्षम है।

लंदन के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटजिक स्टडीज ने एक रिपोर्ट में कहा था कि कोरिया के पहाड़ी इलाकों में रडार सिस्टम ठीक से काम नहीं करते हैं। इस तरह के एयरक्राफ्ट से उत्तर कोरिया के रडार सिस्टम और मजबूत होंगे, लेकिन उत्तर कोरिया के पहाड़ी इलाकों में सिर्फ एक AEW एयरक्राफ्ट काफी नहीं होगा।

Disclaimer: यह लेख इंटरनेट पर आधारित है। इस लेख में लेखक की तरफ से कई त्रुटियां हो सकती हैं, इसलिए 100% सही होने की गारंटी नहीं दिया जा सकता है। इसीलिए इस लेख पर किसी प्रकार का दावा या क्लेम नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह अनुचित एवम् अमान्य माना जायेगा।

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