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दुनिया के सारे मैनेजमेंट अचंभित? विश्वगुरु भारत मे सारे रिकॉर्ड ध्वस्त होने जा रहा है, प्रयागराज के संगम तट पर आयोजित महाकुंभ-2025 में !
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प्रयागराज महाकुंभ 2025 |
News Subah Ki: इस बार प्रयागराज के संगम तट पर आयोजित महाकुंभ 2025 का आयोजन हुआ है। यह महाकुंभ तिथि और संयोग के हिसाब बहुत ही शुभ माना जा रहा है, क्योंकि यह लगभग 144 सालों के बाद ऐसा दुर्लभ मुहूर्त आया है। और ऐसा दुर्लभ मुहूर्त शायद ही कभी मिले इसलिए सभी चाहते हैं, कि इस बार महाकुंभ में डुबकी लगा कर इस दुर्लभ संयोग का गवाह बना जाय। इस बार का महाकुंभ लगभग कई मायनों में दुनिया के सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़कर नया रिकॉर्ड का निर्माण करेंगा। ये सनातन धर्म के प्रति पूरी दुनिया का आस्था और सम्मान को दर्शाता है। कहां जा रहा है कि, बल्कि सूत्रों के हवाले से अनुमान लगाया जा रहा है, कि इस बार महाकुंभ मेला में लगभग 50 करोड़ श्रद्धालुओं एवम् पर्यटकों का आगमन होगा। इस बार 13 जनवरी 2025 से शुरू होने वाले इस महाकुंभ मेला को अभी मात्र 6 दिन हुआ है, और करीब 7 से 8 करोड़ श्रद्धालु लगभग संगम में डुबकी लगा चुके हैं।
तीसरा शाही अमृत स्नान मौनी अमावस्या के दिन
इस महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान 29 जनवरी 2025 को है, और इस दिन का शाही स्नान बहुत ही खास और दुर्लभ माना जा रहा है। क्योंकि, इस दिन कई सारे दुर्लभ संयोग बनने जा रहे हैं। दरअसल, इस दिन चंद्रमा, सूर्य और बुध मकर राशि में त्रिवेणी संयोग बनाएंगे।
पूरा दिन स्नान करने का ब्रह्म मुहूर्त, 29 जनवरी को सुबह 05 बजकर 25 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 18 मिनट तक, प्रातः काल से संध्या तक, 29 जनवरी को सुबह 05 बजकर 51 मिनट से 07 बजकर 11 मिनट तक।
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। इससे तर्पण करने वालों को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन संगम के घाट पर जाकर पितरों का तर्पण और दान करने से कुंडली के दोषों से मुक्ति पाई जाती है। इसके अलावा, इस दिन मौन व्रत रखने से वाक् सिद्धि की प्राप्ति होती है। मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत का विशेष महत्व होता है। मौन व्रत का अर्थ खुद के अंतर्मन में झांकना, ध्यान करना और भगवान की भक्ति में खो जाने से है।
इस महाकुंभ मेला में उम्मीद जताया जा रहा है, कि इस बार केवल मौनी अमावस्या के दिन ही यानी 29 जनवरी 2025 को ही करीब 8 से 9 करोड़ श्रद्धालु या पर्यटक प्रयागराज के संगम तट पर मौजूद रहेंगे। कई सोशल मीडिया और वेबसाइट पर इससे ज्यादा भीड़ पहुंचने का दावा किया जा रहा है।
इस महाकुंभ में 50 से अधिक देशों के राजदूत लगाएंगे डुबकी:
13 जनवरी से शुरू हो रहे महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं को न सिर्फ आध्यात्मिक अनुभूति के मौके मिलेंगे, बल्कि वह मनोरंजन भी कर सकेंगे। संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय ने इसके लिए बड़े पैमाने पर तैयारी की है। 50 से अधिक देशों के राजदूत को संगम में डुबकी लगाने के लिए आमंत्रित किया गया है। उन्होंने अपनी सहमति भी दे दी है। राजदूत कब और कितनी संख्या में आएंगे, इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बुधवार को पत्रकारों को बताया कि महाकुंभ में 45 से 50 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। इसे देखते हुए केंद्रीय व प्रदेश के संस्कृति व पर्यटन विभाग ने अपनी तैयारी की है। श्रद्धालुओं के लिए टेंट सिटी तैयार की गई है। इसमें 2200 से अधिक कॉटेज हैं। यहां एक साथ 4400 से अधिक पर्यटक रुक सकते हैं।
महाकुंभ में पांच एकड़ में UP स्टेट पवेलियन बना:
पर्यटन विभाग की विशेष सचिव ईशा प्रिया ने बताया कि पांच एकड़ में UP स्टेट पवेलियन की स्थापना की जा रही है। इसमें 12 सर्किट को प्रदर्शित किया जाएगा। 15 हजार वर्गफुट के मानचित्र में 3D तकनीक से अयोध्या, काशी, मथुरा, प्रयागराज, कुशीनगर, सारनाथ और नैमिषारण्य सहित अन्य महत्वपूर्ण स्थानों को दर्शाया जाएगा। इसमें एक हस्तशिल्प बाजार भी होगा, जहां ODOP के 75 स्टॉल लगाए जाएंगे। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए तीन मंच भी होंगे। रेलवे स्टेशन और मेला क्षेत्र में 10 पर्यटन सूचना केंद्रों की स्थापना की जा रही है। पर्यटन विकास निगम की MD सान्या छाबड़ा ने बताया कि महाकुंभ से जुड़ी सभी जानकारियां देश की सभी भाषाओं में उपलब्ध होंगी। इससे संबंधित बुकलेट टूरिस्ट फैसिलिटेशन सेंटर या मेला कार्यालय से हासिल की जा सकती है। संस्कृति विभाग के कलाग्राम में रोबॉटिक गाइड, आर्कियोलॉजिकल जानकारियां और AI इनेबल्ड डिजिटल जानकारियां भी मिल सकेंगी।
महाकुंभ में मनोरंजन की भी होगी सुविधा:
महाकुंभ 2025 में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के मनोरंजन के लिए भी सुविधा विकसित की जा रही है। महाकुंभ में शामिल होने वालों को हेलीकॉप्टर राइड का अवसर मिलेगा। 7 से 8 मिनट की राइड के लिए ₹3000 रुपये किराया लगता मगर इसे घटाकर मात्र ₹1250 रुपए कर दिया गया है। हॉट एयर बैलून और क्रूज राइड की सुविधा भी मिल सकेगी। महाकुंभ के दौरान 2500 से अधिक ड्रोन का शो होगा। परमार्थ निकेतन के साथ मिलकर योग और मेडिटेशन का पैकेज भी विभाग उपलब्ध करवा रहा है। कुंभ में गाइड के लिए ₹1000 रुपये प्रतिदिन और आधे दिन के लिए ₹500 रुपये देने होंगे। 990 गाइडों की नियुक्ति की गई है।
महाकुंभ 2025 का मैनेजमेंट और सुरक्षा व्यवस्था:
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प्रयागराज महाकुंभ 2025 |
दुनिया के सारे मैनेजमेंट वाले को आईना दिखाने वाला, यह महाकुंभ मेला बहुत ही शानदार और उत्कृष्ट मैनेजमेंट का उदाहरण प्रदर्शित कर रहा है।
क्योंकि इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है, कि इतने ज्यादा भीड़ को 45 दिनों तक सारी सुविधाओं से लैस बेहतर और सुचारू व्यवस्था बनाना सीमित जगह में, यह उच्च क्वालिटी के शासन को प्रदर्शित करता है। इस आयोजन को सफल बनाने में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी का सबसे बड़ा योगदान है। कुम्भ क्षेत्र को जिला घोषित किया गया है, इस क्षेत्र में विशेष कर सर सफाई का बेहतरीन सामंजस्य स्थापित किया गया है।
प्रयागराज महाकुंभ में सरकार के सामने इस बार सबसे बड़ी चुनौती स्वछता को बनाए रखना है, क्योंकि यहां करीब 45 से 50 करोड़ तक श्रद्धालु आएंगे। इसके लिए पूरे संगम क्षेत्र में 10 लाख के करीब ग्रीन टॉयलेट लगाए जा रहे हैं। इन ग्रीन टॉयलेट की खासियत ये है, की इससे कोई गंदगी नहीं होंगी। खास तौर पर महिलाओं के लिए महाकुंभ में सफाई और शौचालय का ध्यान रखा गया है।
DGP प्रशांत कुमार ने बताया कि 113 होमगार्ड व BRD जवान, 11 कंपनी CRPF और 15 कंपनी PAC को तैनात किया गया है। साथ ही जल मार्ग की निगरानी के लिए एक कंपनी दो प्लाटून PAC भी लगाई गई है। इसके अलावा 10 वज्रवाहन, 15 ड्रोन, 5 बम निरोधक दस्ता के जरिये 24 घंटे प्रयागराज में प्रवेश करने पर निगरानी रखी जा रही है। DGP ने कहा कि महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए UP पुलिस कृत संकल्पित है।
महाकुंभ मेले में भीड़ के प्रभावी ढंग से प्रबंधन और निगरानी के लिए AI संचालित कैमरे, ड्रोन और एंटी-ड्रोन सिस्टम भी लगाए गए हैं। महाकुंभ में संदिग्ध लोगों पर नजर रखने के लिए स्पॉटरों के अलावा सिविल पुलिस के 15 हजार जवानों को तैनात किया गया है। मेला क्षेत्र के एंट्री पॉइंट्स की निगरानी और नियंत्रण के लिए 7 प्रमुख मार्गों पर 102 चौकियां स्थापित की गई हैं। संगम और उसके आसपास के जलमार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और निगरानी के लिए 113 ड्रोन तैनात किए गए हैं।
महाकुंभ के घाटों पर 300 से अधिक गोताखोरों को तैनात किया गया है। कई वाटर एम्बुलेंस भी तैनात की गई हैं। महाकुंभ में NSG कमांडो और UP पुलिस के जवानों की तैनाती के साथ ही इस महाकुंभ मेला को 7 स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के घेरा में रखा गया है।
महाकुंभ का 7000 करोड़ के बजट का मतलब?
मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के सरकार की ओर से कुंभ को भव्य और दिव्य बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी गई है। संगम तट पर कुंभ स्नान करने आने वाले साधु-संतों से लेकर श्रद्धालुओं तक की सुविधा का ख्याल रखा जा रहा है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने भी कुंभ के आयोजन में राज्य सरकार को मदद की है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो महाकुंभ का अनुमानित बजट करीब ₹7000 करोड़ रुपये का है। इसमें से ₹5600 करोड़ रुपये पहले ही इवेंट मैनेजमेंट और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए आवंटित किए जा चुके हैं।
इतना शानदार बजट में क्या क्या हो सकता है, आइए जानते है?
1. राम मंदिर निर्माण से साढ़े तीन गुना खर्च
महाकुंभ 2025 के आयोजन पर अयोध्या राम मंदिर के निर्माण से करीब साढ़े तीन गुणा अधिक खर्च हो रहा है। दरअसल, पांच शताब्दी के बाद अयोध्या राम मंदिर का निर्माण जन्मभूमि स्थल पर हो रहा है। इस मंदिर के निर्माण पर करीब ₹1800 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। चंदे की रकम से बन रहे मंदिर का निर्माण कार्य इस साल के आखिर तक पूरा होना है। हालांकि, 22 जनवरी 2024 को प्रभु रामलला अपने धाम में पधार चुके हैं।
2. बन सकता है दो स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
लौहपुरुष के नाम से मशहूर देश के पहले उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा का निर्माण गुजरात के केवड़िया में कराया गया है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण 45 महीनों में 24000 टन लोहे से कराया गया है। यह प्रतिमा 20,000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैली हुई है। सरदार पटेल की प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण पर ₹2989 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। अगर महाकुंभ आयोजन लागत से इसकी तुलना करें तो इस प्रकार की करीब दो प्रतिमाओं का आसानी से निर्माण कराया जा सकता है।
3. बन सकते हैं पांच संसद भवन
महाकुंभ आयोजन को सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से जोड़कर देखा जाए तो अलग ही तस्वीर उभरती है। सेंट्रल विस्टा यानी नया संसद भवन त्रिकोणीय आकार की इमारत है। 64,500 वर्ग मीटर में फैला यह नई संसद पुरानी संसद से करीब 17,000 वर्ग मीटर बड़ा है। भूकंपरोधी और आधुनिक टेक्नोलॉजी से बने इस भवन की कई खासियतें हैं। नई संसद के निर्माण पर करीब ₹1200 करोड़ रुपये का खर्च आया है। पहले इसका बजट ₹971 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया था। अगर महाकुंभ आयोजन से इस परियोजना की तुलना करें तो करीब पांच संसद का इससे निर्माण संभव है।
Disclaimer: यह लेख इंटरनेट पर आधारित है। इसलिए इस लेख में दी गई जानकारी 100 प्रतिशत सही नहीं हो सकती है। इस लेख को लेकर कोई भी दावा या क्लेम करना अमान्य अथवा अस्वीकार होगा।
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