News Subah Ki: प्रयागराज महाकुंभ में बुधवार की रात मची भगदड़ में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई है।और कई अन्य करीब 50 से 60 लोग घायल बताए जा रहे हैं। कल मौनी अमावस्या का शुभ दिन था, और इस मौनी अमावस्या के शुभ मुहूर्त होने की वजह से महाकुंभ क्षेत्र मे करीब 8 से 10 करोड़ श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पहुंच गई थी। और करोड़ों की संख्या में भीड़ स्नान करने पहुंची गई थी। भीड़ अनियंत्रित हो गई, और भीड़ में लोग एक दूसरे पर गिरने लगे, इस कारण से कई लोगों की जान चली गई। और और उसी समय करीब रात 1 से 2 बजे के बीच भीड़ अनियंत्रित हो गई। और ये भयानक और दर्दनाक हादसा हो गया।
लेकिन ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हुआ है। प्रयागराज और देश के अन्य शहरों में सदियों से कुंभ मेले का आयोजन होता रहा है। कई बार हादसे हुए हैं। इससे पहले भी महाकुंभ और अर्धकुंभ में कई बड़े-बड़े हादसे हुए हैं। सबसे बड़ा हादसा सन् 1954 में हुआ था जब एक हाथी के अनियंत्रित होने की वजह से मची भगदड़ में करीब 800 लोगों की जान चली गई थी, और करीब हजारों श्रद्धालु घायल हुए थे।
हाइलाइट्स
• प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ से 30 की मौत और सैकड़ों घायल।
• महाकुंभ के इतिहास में 1954 की भयानक भगदड़ से 800 लोगों की जान गई थी।
• महाकुंभ में भीड़ नियंत्रण के लिए नए अधिकारी तैनात किए गए
महाकुंभ हादसा के बाद में प्रशासनिक उलटफेर:
इस घटना के बाद UP के CM योगी श्री आदित्यनाथ जी ने महाकुंभ जिले की व्यवस्था में कई बदलाव किए हैं। कई नए अधिकारियों की तैनाती की गई है। महाकुंभ में मौनी अमावस्या के अवसर पर मची भगदड़ के बाद UP के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार एक्शन में हैं।
गुरुवार को महाकुंभ की व्यवस्था को और बेहतर करने के लिए एक IAS के साथ ही चार PCS अधिकारियों की तैनाती कर दी। ये अधिकारी 15 फरवरी तक प्रयागराज में उपस्थित रहकर व्यवस्थाओं को और बेहतर बनाने में सहयोग देंगे। इससे पहले बुधवार को प्रयागराज में बतौर मंडलायुक्त सेवा दे चुके आशीष गोयल और ADA के वीसी रहे भानु गोस्वामी की तैनाती की गई। दोनों प्रयागराज पहुंच भी गए हैं। इसके अलावा विशेष सचिव स्तर के पांच अधिकारियों को भी भेजा है। जिस संगम नोज पर हादसा हुआ था वहां पर भी नए मजिस्ट्रेट समेत अन्य अफसरों की तैनाती कर दी गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे को अत्यंत दुखद बताते हुए शोक व्यक्त किया और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बातचीत कर स्थिति की जानकारी ली। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि रात 1-2 बजे के बीच अखाड़ा मार्ग पर बैरिकेड्स पार करने के प्रयास में यह घटना हुई। उन्होंने श्रद्धालुओं से अफवाहों पर ध्यान न देने और प्रशासन का सहयोग करने की अपील की।
महाकुंभ में पहले भी हो चुके हैं, कई बड़े हादसे:
सबसे बड़ा हादस 1954 में इसी इलाहाबाद कुंभ में हुआ था। माना जाता है, कि उस दौरान कम से कम 800 लोगों की मौत हो गई थी। उस वक्त कुंभ का इतना प्रचार-प्रसार नहीं होता था। देश की आजादी के बाद पहली बार 1954 में इलाहाबाद कुंभ का आयोजन हुआ था। वह दिन भी मौनी अमावस्या का था। उस दिन भी अनगिनत की संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ी थी। पहली बार आजाद भारत की सरकार इस आयोजन को मैनेज कर रही थी। वह 3 फरवरी 1954 की तारीख थी। संगम स्थल पर एक हाथी बेकाबू हो गया, जिससे मची भगदड़ में करीब 500 लोगों की जान चली गई। उस घटना के बाद तमाम धार्मिक आयोजनों में कई तरह के बदलाव किए गए। बेहतर संचार के लिए लाउडस्पीकर लगाए गए और रात में दृश्यता बढ़ाने के लिए 1,000 से अधिक स्ट्रीट लाइटें लगाई गईं। उस घटना के बाद कुंभ मेला में हाथियों के इस्तेमाल पर स्थायी रोक लगा दी गई।
उस समय देश के PM पंडित जवाहर लाल नेहरू थे। वह भी मौनी अमावस्या के दिन कुंभ में स्नान करने गए थे। उस समय की कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया कि PM पंडित नेहरू की यात्रा की वजह से भीड़ काफी बढ़ गई है। सेक्युरिटी की वजह से लोगों की आवाजाही के कई मार्ग बंद कर दिए गए। जिससे भीड़ बेकाबू हो गई थी। हालांकि कुछ अन्य अन्य संस्थानों जैसे BBC की रिपोर्टों में कहा गया कि पंडित नेहरू ने घटना से एक दिन पहले ही मेले का दौरा किया था। वे हादसे के वक्त वहां मौजूद नहीं थे। इस घटना के बाद महाकुंभ में व्यावस्था को लेकर अन्य बदलाव किए गए थे।
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महाकुंभ के कुछ अन्य घटनाओं की विस्तृत जानकारी:
इसके बाद 1986 में हरिद्वार में आयोजित कुंभ मेला में भगदड़ मची थी। वह 14 अप्रैल की तारीख थी. उस दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित कई VIP मेले में आए। उस वक्त हरिद्वार उत्तर प्रदेश का ही हिस्सा हुआ करता था। VIP लोगों के आने के वजह से तीर्थयात्रियों को स्नान क्षेत्र तक पहुंचने से रोक दिया गया. उसके बाद भगदड़ मच गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक उस घटना में 200 लोगों की जान चली गई थी. 2010 में भी हरिद्वार साधुओं और भक्तों के बीच टकराव के कारण भगदड़ मच गई, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई. इसके बाद भी कई अन्य कुंभ मेले में भगदड़ की घटनाएं हुई हैं. 2003 में नासिक कुंभ में भगदड़ मची थी जिसमें 39 लोगों की जान चली गई. 2013 में इलाहाबाद (प्रयागराज) में कुंभ के वक्त रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मची थी, उसने 42 लोगों की जान चली गई थी.
महाकुंभ और अर्धकुंभ मेलों में समय-समय पर कई बड़े हादसे हुए हैं, जिनमें भगदड़, पुल गिरने, आग लगने और अन्य दुर्घटनाएं शामिल हैं। यहां कुछ प्रमुख हादसों की जानकारी दी गई है:
1. प्रयागराज, महाकुंभ सन् 1954.
हादसा: 3 फरवरी 1954 को मौनी अमावस्या के दिन मची थी भगदड़।
कारण: भारी भीड़, अव्यवस्थित प्रशासन और बैरिकेड टूटने से अफरा-तफरी मच गया।
हताहत: करीब 800 से अधिक लोगों की मौत, और 2000 से ज्यादा घायल।
विशेष: यह महाकुंभ का अबतक का सबसे बड़ा हादसा माना जाता है।
2. हरिद्वार, महाकुंभ सन् 1986.
हादसा: महाकुंभ के दौरान हर की पौड़ी पर स्नान के समय भगदड़ हुआ था।
कारण: पुल पर भीड़ अधिक होने के कारण दबाव बढ़ गया था।
हताहत: लगभग 50 लोग मारे गए थे।
3. नासिक, महाकुंभ सन् 2003.
हादसा: नासिक के कुंभ मेले में भगदड़ हुआ था।
कारण: कपिल तीर्थ घाट पर भारी भीड़ के कारण हुई थी।
हताहत: इस घटना में 39 लोग मारे गए थे। कई लोग घायल भी हुए थे।
4. हरिद्वार, अर्धकुंभ सन् 2010.
हादसा: भीड़भाड़ के कारण स्नान घाट पर भगदड़ हुआ था।
कारण: श्रद्धालुओं की बहुत अत्यधिक संख्या बताया जाता है।
हताहत: इस हादसे में 7 लोगों की मौत और कई घायल हुए थे।
5. प्रयागराज, महाकुंभ सन् 2013.
हादसा: 10 फरवरी 2013 को इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर भगदड़ हुआ था।
कारण: प्लेटफॉर्म नंबर 6 पर ओवरब्रिज पर भीड़ ज्यादा होने के कारण अफरा-तफरी मच गया था।
हताहत: करीब 36 से अधिक लोगों की मौत और 50 से ज्यादा घायल हुए थे।
विशेष: हादसे के वक्त लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान कर लौट रहे थे।
6. हरिद्वार, अर्धकुंभ सन् 2021. (कोविड काल)
हादसा: उस समय कोरोना संक्रमण का विस्फोट हुआ था।
कारण: लाखों लोगों की भीड़ बिना कोविड प्रोटोकॉल के एकत्र हुई थी।
हताहत: हजारों लोग संक्रमित हुए थे और कई की मौत हो गई थी।
7. प्रयागराज, महाकुंभ सन् 2025. (संभावित हादसा)
हादसा: 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या के स्नान के दौरान भगदड़ हुआ।
कारण: हद से ज्यादा भारी भीड़ और प्रशासनिक अव्यवस्था मेन कारण माना जा रहा है।
हताहत: करीब 30 लोगों की मौत और करीब 60 से 70 लोगों की घायल होने की आशंका।
Conclusion:
महाकुंभ और अर्धकुंभ मेलों में समय-समय पर भारी भीड़ के कारण हादसे होते रहे हैं। प्रशासन हर बार सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने का दावा करता है, लेकिन अचानक बढ़ी भीड़ और अव्यवस्था से त्रासदी हो जाती है।
Disclaimer: यह लेख इंटरनेट पर आधारित है। इस लेख में दी गई जानकारी 100 प्रतिशत सही नहीं हो सकती है। इसलिए इस लेख पर कोई प्रकार का दावा एवम् क्लेम करना अनुचित अथवा अमान्य होगा।