News Subah Ki: भारत और पाकिस्तान के बीच इस समय बहुत ही नाजुक स्थिति बनी हुई है। दोनों देशों की सीमा पर तनाव अपने चरम पर बना हुआ है। रह-रह कर पाकिस्तान लगातार सीजफायर का उल्लंघन भी कर रहा है, जिसका करारा जवाब इंडियन आर्मी के तरफ से दिया जा रहा है। अभी बॉडर पर भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसी स्थिति भी बनती नज़र आ रही है। यदि ऐसा होता है तो जमीनी लड़ाई में भारतीय सेना के हॉवित्ज़र तोप पाकिस्तानी आर्मी पर कहर बनकर टूटेंगे। तो आइए जानते हैं विस्तार से भारत के इन होवित्ज़र M- 777 और धनुष तोपों के बारे में!
भारतीय M-777 हॉवित्ज़र और स्वदेशी धनुष तोप:
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भारतीय धनुष (हॉवित्ज़र) तोप |
1. भारतीय सेना का धनुष (हॉवित्ज़र) तोप:
धनुष (Dhanush) मूल रूप से स्वीडन से लाया गया बहुचर्चित बोफोर्स FH-77B तोप का स्वदेशी रूपांतरण है। धनुष भारतीय सेना में उपयोग होने वाला एक बेहद ही शानदार प्रदर्शन करने वाला खतरनाक 155mm का, 45 कैलिबर वाला स्वदेशी (हॉवित्ज़र) तोप है। इस धनुष तोप को बनाने में भारतीय वैज्ञानिकों ने अपने तकनीकी उन्नयन का उत्कृष्ट प्रयास और सुधार किए हैं। यह भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) तथा ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) द्वारा जबलपुर की गन कैरेज कारखाना में मेक इन इंडिया के तहत विकसित किया गया है। यह रक्षा क्षेत्र में आयात पर निर्भरता कम करने की दिशा में एक प्रमुख कदम माना जाता है। धनुष तोप को साल 2019 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था।
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बोफोर्स तोप से धनुष का संबंध:
1980 के दशक में भारत ने स्वीडन से बोफोर्स FH-77B (हॉवित्ज़र) 155mm तोप खरीदी थी, जिसका कारगिल युद्ध (1999) में बहुत प्रभावी तरीके से उपयोग हुआ।
बोफोर्स तोप से मिली तकनीकी समझ के आधार पर, भारत ने "धनुष" को पूरे स्वदेशी तरीके से बोफोर्स का उन्नत संस्करण (NG) के रूप में विकसित किया है।
धनुष (हॉवित्ज़र) तोप की विशेषताएँ:
कैलिबर: 155mm और 45 कैलिबर (बोफोर्स FH-77B के 39 कैलिबर की तुलना में लंबी बैरल)।
रेंज: 38 कि.मी. तक (विशेष मुनिशन के साथ), जो बोफोर्स से अधिक है।
मोड: बर्स्ट मोड में यह 15 सेकेंड में तीन राउंड दागता है। इंटेंस मोड में 3 मिनट में 15 राउंड और संस्टेंड मोड में 60 मिनट में 60 राउंड।
फायर क्रू: इस धनुष तोप को चलाने के लिए 6 से 8 क्रू की जरूरत होती है।
स्वदेशी तकनीक: नेविगेशन सिस्टम, ऑटोमैटिक टार्गेटिंग, और फायर कंट्रोल सिस्टम में भारतीय उन्नयन।
निर्माण: OFB की इकाइयों (जैसे, जबलपुर की गन कारखाना) में निर्मित।
भारतीय सेना के लिए धनुष तोप का महत्व:
यह "मेक इन इंडिया" पहल का प्रतीक है, जो भारत को तोपखाने के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक कदम है।
सेना ने 2019 में "धनुष" को सेवा में शामिल किया, और इसकी प्रदर्शन क्षमता को युद्ध परीक्षणों में सफल पाया गया।
बोफोर्स तोप और धनुष तोप में अंतर:
धनुष में (बोफोर्स के अपेक्षा) लंबी फायरिंग रेंज, बेहतर सटीकता, और डिजिटल नियंत्रण प्रणाली जैसे सुधार शामिल हैं।
इस धनुष तोप में 80% से अधिक घटक और पार्ट्स - पुर्जे स्वदेशी हैं, जबकि बोफोर्स पुरी तरह आयातित थी।
धनुष (हॉवित्ज़र) तोप का मूवमेंट:
इस तोप किसी हैवी व्हीकल से जोड़कर खींचा भी जा सकता है, साथ ही इसे हैवी ट्रक पर लोड भी किया जा सकता है। किसी व्हीकल पर लोड किए जाने के बाद इसे माउंटेड गन कहा जाता है। डिफेंस एक्सपो 2018 के दौरान इसके एक यूनिट को भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (BEML) द्वारा लाइसेंस के तहत निर्मित 8x8 टाट्रा ट्रक पर लगाया गया था। किसी व्हीकल पर लोड कर के इसकी क्रॉस कंट्री स्पीड 30 किलोमीटर प्रति घंटा है, और सड़क पर यह 70-80 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है।
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भारत का सबसे खतरनाक M-777 हॉवित्ज़र तोप |
2. भारत का आर्टिलरी M-777 हॉवित्जर तोप:
आर्टिलरी M-777 हॉवित्जर तोप की मुख्य विशेषता:
1. M-777 हॉवित्जर का वजन और डिज़ाइन:
✅ इसका वजन लगभग 4,200 किग्रा (4.2 टन) है, जो पारंपरिक होवित्ज़र की तुलना में 40% हल्का है।
✅ टाइटेनियम और एल्युमीनियम मिश्र धातु से बना है, जो इसे मजबूत और हल्का बनाता है।
✅ टोड सिस्टम: इसे हेलिकॉप्टर (जैसे CH-47 चिनूक) या ट्रक से खींचकर तेज़ी से तैनात किया जा सकता है।
2. M-777 हॉवित्जर का रेंज और सटीकता:
✅ मानक गोला-बारूद: 24–30 किमी तक प्रभावी फायरिंग रेंज।
✅ एक्सकैलिबर मुनिशन (GPS-गाइडेड): 40 किमी से अधिक रेंज।
✅ डिजिटल फायर कंट्रोल सिस्टम: लेजर-गाइडेड टार्गेटिंग और स्वचालित निशानेबाजी।
3. M-777 हॉवित्जर तोप का रणनीतिक उपयोग:
✅ पर्वतीय और दुर्गम इलाकों के लिए आदर्श, विशेषकर लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश जैसे क्षेत्रों में।
✅ तेज़ तैनाती: हेलिकॉप्टर द्वारा उठाकर ऊँचाई वाले इलाकों में पहुँचाया जा सकता है।
भारतीय सेना में M-777 हॉवित्ज़र की भूमिका:
✅ खरीद और संख्या: भारत ने 2016 में 145 M-777 होवित्ज़र अमेरिका से $750 मिलियन में खरीदे। यह फॉरेन मिलिट्री सेल्स (FMS) कार्यक्रम के तहत खरीदे गए।
✅ तैनाती: इन्हें चीन-भारत सीमा (LAC) और पाकिस्तान सीमा के निकट पर्वतीय क्षेत्रों में तैनात किया गया है।
✅ निर्माण: अमेरिकी कंपनी BAE Systems और भारतीय महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स के बीच समझौते के तहत "मेक इन इंडिया" पहल के अंतर्गत इनका कुछ हिस्सा भारत में निर्मित हुआ है।
महत्व और चुनौतियाँ:
✅ रणनीतिक लाभ: M-777 की हल्कापन और एयर मोबिलिटी भारत को हिमालयी सीमा पर चीन के साथ तनाव में रणनीतिक बढ़त देता है।
✅ सीमाएँ: इसकी उच्च लागत और रखरखाव की जटिलता चुनौतीपूर्ण है।
✅ आत्मनिर्भरता: M-777 के विपरीत, धनुष भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा देता है।
Conclusion:
M-777 होवित्ज़र भारत की आधुनिक तोपखाना रणनीति का अहम हिस्सा है, विशेषकर पर्वतीय युद्धक्षेत्रों में। हालाँकि, धनुष जैसी स्वदेशी प्रणालियों के विकास के साथ, भारत रक्षा उपकरणों में आयात पर निर्भरता कम करने की दिशा में प्रयासरत है। दोनों तोपें भारत की संयुक्त सैन्य क्षमताओं को मजबूती प्रदान करती हैं।
Disclaimer: यह लेख इंटरनेट पर आधारित है। इस लेख में लेखक की तरफ से कई त्रुटियां हो सकती हैं, इसलिए 100% सही होने की गारंटी नहीं दिया जा सकता है। इसीलिए इस लेख पर किसी प्रकार का दावा या क्लेम नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह अनुचित एवम् अमान्य माना जायेगा।