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भारत का सुखोई SU-30 MKI लड़ाकू विमान |
Sukhoi SU-30 MKI: कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले के बाद भारत-पाकिस्तान में तनाव काफी बढ़ गया है। भारत के पास 272 सुखोई SU-30 फाइटर जेट्स हैं। इन विमानों को भारत में असेंबल किया गया है लेकिन इनमें मामूली बदलाव के लिए हमें रूस के पास जाना पड़ता है।
News Subah Ki: कश्मीर घाटी के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालात बन गए हैं। भारत का मानना है कि इन हमलों को अंजाम देने वाले आतंकवादी और उनके आका पड़ोसी देश में छिपे बैठे हैं। उन आतंकवादियों के सिर पर पाकिस्तान सरकार और वहां की सेना का हाथ है। भारत ने इन आतंकवादियों को मिट्टी में मिलाने की बात कही है। इस कारण दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है। पाकिस्तान के साथ युद्ध जैसे हालात में भारत की ताकत की चर्चा हो रही है। भारत निश्चित तौर पर दुनिया में एक बड़ी ताकतवर सैन्य शक्ति है। लेकिन, दुश्मन देश पाकिस्तान भी कम नहीं है। उसके पास भी ठीक ठाक सेना है। उसे सीधे तौर पर काल्पनिक सुपरपावर चीन का साथ मिला हुआ है।
भारत की ताकत की बात करें तो इसमें सबसे अहम भूमिका सुखोई SU-30 MKI फाइटर जेट्स निभाते हैं। ये भारतीय वायु सेना के मुख्य फाइटर जेट्स हैं। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत नरसिम्हा राव के कार्यकाल 1996 में रूस के साथ एक करार के तहत ये विमान खरीदे गए थे। यह सौदा उस समय करीब ₹55 हजार करोड़ रुपये था। यह लड़ाकू विमान पुराने MiG-21 और MiG-27 फाइटर जेट्स की जगह लेने वाले थे। इस वक्त वर्तमान में भारत के पास कुल 272 सुखोई SU-30 MKI लड़ाकू विमान हैं। इसमें से 50 विमानों को रूस से आयात किया गया है, जबकि बाकी के विमानों को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के तहत हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने बनाया है। भारत की जरूरत के हिसाब से इन विमानों में काफी सारे बदलाव कर दिया गया है। इसमें स्वदेशी के साथ फ्रांस और इजरायल में विकसित एवयोनिक्स सिस्टम लगे हुए हैं। इसमें थ्रस्ट-वेक्टरिंग AL-31FP इंजन लगाए गए हैं। इसकी रेंज 1500 किलोमीटर है।
Highlights
✅ भारत की ताकत में सबसे अहम भूमिका सुखोई SU-30 MKI फाइटर जेट्स निभाते हैं।
✅ इस वक्त वर्तमान में भारत के पास कुल 272 सुखोई SU-30 MKI लड़ाकू विमान हैं।
✅ यह लड़ाकू विमान इस वक्त भारतीय सेना की रीढ़ की हड्डी माना जाता हैं।
✅ भारत को सुखोई SU-30 MKI की सौदे में हुई गलती से मिला सीख।
✅ सुखोई SU-30 MKI फाइटर जेट्स में ब्रह्मोस-NG और अस्त्र मिसाइले लैस।
लेकिन उस समय रूस के साथ हुए इस सौदे में कई कमियां रह गईं थीं। दरअसल, 1996 में हुए इस सौदे में भारत ने रूस के डिजाइन ब्यूरो (RDB) और इरकुत कॉर्पोरेशन (EC) के साथ करार किया था। इस सौदे के तहत 222 विमानों को हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की नासिक फैक्ट्री में असेंबल किया गया था। इसमें अब ब्रह्मोस मिसाइलें लगाई गई हैं। इन बदलावों के बाद सुखोई दुनिया के चुनिंदा सबसे खतरनाक फाइटर जेट्स में शामिल हो जाते हैं। इस कारण वैश्विक बाजार में भारत में बने इन सुखोई SU-30 MKI फाइटर जेट्स की अच्छी खासी डिमांड है।
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भारत का सुखोई SU-30 MKI लड़ाकू विमान |
क्या था, सुखोई SU-30 एयरक्राफ्ट सौदे में गड़बड़ी?
भारत के प्रिय दोस्त रूस ने इन विमानों की असेंबलिंग के लाइसेंस दे दिए थे। उसने तकनीकी दस्तावेज भी दे दिए थे लेकिन, उसने महत्वपूर्ण हिस्सों जैसे इंजन, रडार और एयरफ्रेम की तकनीक साझा नहीं की थी। यानी कि पूर्ण टेक्नोलॉजी ट्रांसफर साझा नहीं की थी। ऐसे में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) का काम पहले से बने हिस्सों को जोड़ने भर का ही था, इस कारण टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के बावजूद भारत इन लड़ाकू विमानों को स्वतंत्र रूप से बनाने में सक्षम नहीं है। इन विमानों में छोटे-छोटे बदलाव के लिए जैसे एक स्क्रू बदलने के लिए भी हमें रूस की मंजूरी चाहिए होती है। रूस को यूक्रेन के साथ युद्ध में उलझने के दौरान इन लड़ाकू विमानों के लिए कल-पुर्जों की सप्लाई प्रभावित हुई है। ये लड़ाकू विमान इस वक्त भारतीय सेना की रीढ़ की हड्डी माना जाता हैं।
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भारत को सुखोई SU-30 की गलती से सीख:
भारत एवम् रूस के साथ हुए इस सुखोई SU-30 MKI फाइटर जेट्स के सौदे की कमियों ने भारत को कई सारे सबक सिखाए हैं। भारत में इन लड़ाकू विमानों को बनाने के बावजूद उसमें बदलाव करने या उनका निर्यात करने के लिए भारत स्वतंत्र नहीं है। भारतीय कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने इन विमानों में ब्रह्मोस-NG और अस्त्र मिसाइलों को जोड़ने की कोशिश की थी। लेकिन, उनके पास इस लड़ाकू विमानों की डिजाइन विशेषज्ञता नहीं थी। इस कारण से ही इन्हें अपग्रेड करने में काफी समय लग गया है।
अब जबकि पाकिस्तान के साथ तनाव चरम पर है। ऐसे में यह देखना होगा कि सुखोई SU-30 को पूर्ण रूप से मारक बनाए रखने के लिए रूस किस हद तक भारत को सहयोग देता है। भारत के पास अभी 272 सुखोई SU-30 लड़ाकू विमान हैं, लेकिन इनकी हर एक जरूरत के लिए हमें रूस के पास जाना पड़ता है। इधर रूस खुद यूक्रेन के साथ युद्ध में उलझा हुआ है, ऐसे में देखना होगा कि वह किस हद तक भारत की सहायता करता पाता है।
Disclaimer: यह लेख इंटरनेट पर आधारित है। इस लेख में लेखक की तरफ से कई त्रुटियां हो सकती हैं, इसलिए 100% सही होने की गारंटी नहीं दिया जा सकता है। इसीलिए इस लेख पर किसी प्रकार का दावा या क्लेम नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह अनुचित एवम् अमान्य माना जायेगा।