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भारतीय लॉन्ग रेंज एंटी-शिप मिसाइल ब्रह्मास्त्र। |
News Subah Ki: हमारे पौराणिक ग्रंथों में कई ऐसी अनोखी बातें हैं, जिन पर आज के आधुनिक युग में यकीन करना मुश्किल है। हालाँकि, इनमें से कई प्राचीन कहानियाँ अब सच साबित हो रही हैं। दुनिया भर के वैज्ञानिक ऐसी उपलब्धियाँ हासिल कर रहे हैं, जो कभी अकल्पनीय लगता था। हमारे पौराणिक ग्रंथों और कथाओं में ब्रह्मास्त्र का उल्लेख किया गया है, जो पहले कहानियां लगता था, वह आज वैज्ञानिको के सफलता और प्रगति के बदौलत, अब ऐसी ही प्रगति वास्तविकता बन रही है। भारतीय वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक ऐसी उपलब्धि हासिल की है। जिसने चीन और अमेरिका सहित दुनिया भर के विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों को को हैरान एवम् अचंभित कर दिया है।
यह "ब्रह्मास्त्र" मिसाइल भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है। यह बहुत ही अत्याधुनिक तकनीक से लैस सतह से सतह पर मार करने वाली लॉन्ग रेंज एंटी-शिप मिसाइल (LRAShM) है। इस लॉन्ग रेंज ब्रह्मास्त्र मिसाइल को भारत की सामरिक और रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। भारतीय वैज्ञानिकों ने 12,144 किलोमीटर प्रति घंटे की आश्चर्यजनक गति वाला आधुनिक "ब्रह्मास्त्र" विकसित किया है। इसे इस तरह से समझें तो इस गति से नई दिल्ली से वाशिंगटन डीसी तक की यात्रा सिर्फ़ एक घंटे में की जा सकती है।
Highlights
🚀 DRDO द्वारा निर्मित भारत का हाइपरसोनिक लॉन्ग रेंज एंटी-शिप मिसाइल ब्रह्मास्त्र।
🚀 ब्रह्मास्त्र हाइपरसोनिक मिसाइल की रेंज लगभग 1500 किलोमीटर है।
🚀 इस LRAShM हाइपरसोनिक ब्रह्मास्त्र का स्पीड लगभग 12144 किमी प्रति घंटा है।
🚀 भारत का यह LRAShM ब्रह्मास्त्र चीन की DF-17 मिसाइल से बेहतर।
🚀 इस LRAShM ब्रह्मास्त्र को आधुनिक युद्ध में एक दुर्जेय शक्ति के रूप में देखा जाएगा।
LRAShM ब्रह्मास्त्र के बारे में संक्षिप्त विवरण:
भारत का ब्रह्मास्त्र नामक यह हथियार एक लॉन्ग रेंज एंटी-शिप मिसाइल (LRAShM) एक हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO ) द्वारा विकसित किया गया है। ब्रह्मास्त्र मिसाइल भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने वाला एक महत्वपूर्ण हथियार है। यह मिसाइल भारत को एक मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा। इसे हवा, जमीन और समुद्र तीनों जगहों से तैनात करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस ब्रह्मास्त्र मिसाइल से भारत को युद्ध परिदृश्यों में बहुमुखी प्रतिभा मिलती है। भारत के इस मिसाइल से 1,500 किलोमीटर की दूरी पर दुश्मन का कोई भी जहाज या युद्धपोत सुरक्षित नहीं रहेगा। क्योंकि यह हाइपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मास्त्र मात्र 7 से 8 मिनट में ही टारगेट को नेस्तनाबूत कर सकता है।
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LRAShM ब्रह्मास्त्र मिसाइल की मुख्य विशेषता:
यह मिसाइल अत्यधिक सटीकता के साथ लक्ष्य को बहुत आसानी से भेद सकती है। इस मिसाइल में परंपरागत और परमाणु दोनों तरह वारहेड ले जाने की क्षमता है। इस मिसाइल को हवा, पानी और जमीन पर मोबाइल लॉन्चर से भी प्रक्षेपित की जा सकती है, जो इसे अधिक लचीला और प्रभावी बनाता है। ब्रह्मास्त्र मिसाइल भारत की सामरिक और रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह मिसाइल भारत को अपने पड़ोसी देशों के खिलाफ एक मजबूत सैन्य शक्ति प्रदान करती है, और राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करती है। ब्रह्मास्त्र मिसाइल का विकास DRDO द्वारा किया गया है, और यह भारत के स्वदेशी रक्षा उद्योग का एक प्रमुख उदाहरण है। इस मिसाइल का सफल परीक्षण भारत की तकनीकी और वैज्ञानिक क्षमताओं को दर्शाता है। विशेष ताप-रोधी सामग्रियों के समावेश से यह सुनिश्चित होता है, कि मिसाइल उड़ान के दौरान विघटित हुए बिना अत्यधिक तापमान को झेल सकेगी, जिससे स्क्रैमजेट और ग्लाइड प्रौद्योगिकी में एक नया मानक स्थापित होगा ।
LRAShM ब्रह्मास्त्र मिसाइल की रेंज:
लॉन्ग रेंज एंटी-शिप मिसाइल (LRAShM) नामक यह हथियार रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित एक हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल है। इसका 16 नवंबर, 2023 को ओडिशा के तट से दूर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। 1,500 किलोमीटर की रेंज वाली यह मिसाइल लॉन्च होने के 7 से 8 मिनट के भीतर दुश्मन के जहाज या युद्धपोत को नष्ट कर सकता है। कुछ रक्षा विशेषज्ञ तो यह भी अनुमान लगाते हैं, कि भारत ने रणनीतिक कारणों से अपनी मिसाइल की वास्तविक रेंज को सार्वजनिक रूप से कम करके बताया है। इसे जमीन और समुद्र दोनों जगहों से तैनात करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
LRAShM ब्रह्मास्त्र मिसाइल की स्पीड:
भारत का यह ब्रह्मास्त्र लॉन्ग रेंज एंटी-शिप मिसाइल (LRAShM) नामक यह हथियार एक हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल है। शुरुआत में रक्षा विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया था, कि LRAShM की अधिकतम गति 6 से 7 मैक होगी। (मैक एक ध्वनि की गति मापने की इकाई होती है, जिसमें 1 मैक 1,235 किलोमीटर प्रति घंटा के बराबर होता है।)।
हालांकि, वास्तव में, यह मिसाइल 10 मैक पर काम करती है, जो इसे ध्वनि की गति से 10 गुना तेज़ बनाती है। इसका मतलब है कि यह सिर्फ़ एक सेकंड में 3.37 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है, यानि लगभग 12,144 किलोमीटर प्रति घंटा, जो वाकई एक आश्चर्यजनक उपलब्धि है। इसे इस तरह से समझें तो इस गति से नई दिल्ली से वाशिंगटन डीसी तक की यात्रा सिर्फ़ एक घंटे में की जा सकती है।
चीन और अमेरिका की तुलना में यह कैसा है?
अगर भारत ने यह सफलता हासिल की है, तो कोई भी आश्चर्यचकित हो सकता है कि चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसी वैश्विक महाशक्तियों ने इस क्षेत्र में क्या हासिल किया है। दोनों देशों ने समान हथियार विकसित किए हैं, जैसे कि चीन की DF-17 मिसाइल, जो 10-12 मैक की गति तक पहुँचती है, और इसकी रेंज 1,000 किलोमीटर है। वहीं भारत की LRAShM की रेंज 1,500 किलोमीटर है। हालाँकि, भारत ने LRAShM के साथ स्क्रैमजेट और ग्लाइड तकनीक में एक नया मानक स्थापित किया है। अत्यधिक तापमान को झेलने के लिए विशेष ऊष्मा-रोधी सामग्री को शामिल किया गया है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उड़ान के दौरान मिसाइल आग के गोले में न बदल जाए।
LRAShM के सफल परीक्षण के साथ, भारतीय नौसेना को हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में महत्वपूर्ण रणनीतिक लाभ प्राप्त हुआ है। यह मिसाइल क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, यदि पाकिस्तान के कराची बंदरगाह के पास कोई युद्धपोत भारत को निशाना बनाने का इरादा रखता है, तो LRAShM मुंबई के समुद्र तट से केवल 4 से 5 मिनट में उसे बेअसर कर सकता है। जिससे आधुनिक युद्ध में एक दुर्जेय शक्ति के रूप में इसकी स्थिति मजबूत हो गई है।
Conclusion:
भारत को रक्षा क्षेत्र में हमेशा अग्रणी भूमिका में बनाए रखने के लिए तत्पर भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने एक लॉन्ग रेंज हाइपरसोनिक एंटी शिप मिसाइल (LRAShM) विकसित किया है, जिसका नाम ब्रह्मास्त्र है। DRDO ने इस मिसाइल को स्क्रैमजेट और ग्लाइड तकनीक पर विकसित किया है, जिससे यह मैक 10 (12144 किमी) की स्पीड से दुश्मन पर हमला करने में सक्षम है। यह मिसाइल 1500 किलोमीटर की रेंज में मात्र 7 से 8 मिनट में कहर बरपा सकता है। इस ब्रह्मास्त्र मिसाइल को हवा, जमीन और समुद्र तीनों जगहों से हमला करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। कुल मिलाकर ओवरऑल यह स्वदेशी ब्रह्मास्त्र मिसाइल आने वाले दिनों में भारत को पूरे विश्व में डिफेंस सेक्टर का लोहा मनवाएगा।
Disclaimer: यह लेख इंटरनेट पर आधारित है। इस लेख में लेखक की तरफ से कई त्रुटियां हो सकती हैं, इसलिए 100% सही होने की गारंटी नहीं दिया जा सकता है। इसीलिए इस लेख पर किसी प्रकार का दावा या क्लेम नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह अनुचित एवम् अमान्य माना जायेगा
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