BrahMos NG manufactured by India and Russia: भारत और रूस के संयुक्त परियोजना(joint project) ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा विकसित किया जा रहा हैं। जो बहुत ही उन्नत, पहले से हल्का और अधिक ज्यादा घातक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, ब्रह्मोस-NG! यह मौजूदा सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस से छोटा एवम् उससे उन्नत संस्करण (Advanced version) है।
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| ये है अगली पीढ़ी का सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस-NG ! |
ब्रह्मोस-NG एक मल्टी-प्लेटफॉर्म, मल्टी-टारगेट और हल्के वजन वाली हथियार प्रणाली है, जो इसे युद्ध के मैदान के लिए एकदम सही और सटीक बनाती है। इस मिसाइल में यांत्रिक घटकों को विद्युत घटकों से बदलने के बाद आकार में कमी आई है। मिसाइल की लंबाई छह मीटर और व्यास 50 सेंटीमीटर है। समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले एक आधिकारिक बयान में कहा गया, कि इस मिसाइल का आकार देखते हुए 'जटिल और आधुनिक' एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइलों के लिए भी इसका मुकाबला करना 'मुश्किल' होगा।
Highlights
🚀 ब्रह्मोस-NG मिसाइल की कुछ विशेष और मुख्य विशेषताएँ।
🚀 रेंज एवं गति और आकार एवं वजन में मूल ब्रह्मोस से कोसों दूर।
🚀 उन्नत स्टील्थ एवं इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर से लैस है ब्रह्मोस-NG मिसाइल।
🚀 मल्टी-प्लेटफॉर्म से लॉन्च होने वाली क्षमता से लैस है ब्रह्मोस-NG मिसाइल।
🚀 मूल ब्रह्मोस मिसाइल और ब्रह्मोस NG मिसाइल में तुलना।
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| ये है अगली पीढ़ी का सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस-NG ! |
घातक और सटीक, ब्रह्मोस-NG मूल मिसाइल की तुलना में आकार और वजन में छोटी है। इसका वजन 1.5MT है, और यह 5 मीटर लंबी है। पहले वाले संस्करण का वजन 3MT था, और यह 9 मीटर लंबा था। मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेजीम (MTCR) की सीमाओं के कारण इस मिसाइल की मूल सीमा 290 किलोमीटर थी। भारत के MTCR समूह का हिस्सा बनने के बाद ही इसकी सीमा 450 किलोमीटर तक बढ़ पाई और इसे 600 किलोमीटर तक और बढ़ाया जा सकता है। और इसकी गति 3.5 मैक (4,322 कि.मी. प्रति घंटा) तक है। पहले वाली मिसाइल की तुलना में ब्रह्मोस-NG में कम रडार क्रॉस सेक्शन (RCS) है, जिससे वायु रक्षा प्रणालियों के लिए लक्ष्य का पता लगाना और उस पर हमला करना मुश्किल हो जाएगा। नई मिसाइल में स्वदेशी रूप से विकसित और निर्मित सीकर भी होगा। जबकि पहले वाली ब्रह्मोस मिसाइल में PJ-10 मैकेनिकली स्कैन रडार है, वहीं ब्रह्मोस-NG में AESA रडार होगा।
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| ये है अगली पीढ़ी का सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस-NG ! |
1. रेंज एवं गति (Range & Speed)
2. आकार एवं वजन (Size & Weight)
3. मल्टी-प्लेटफॉर्म क्षमता (Multi-Platform Launch)
हवा से प्रक्षेपण: इस ब्रह्मोस-NG मिसाइल को हवा से लॉन्च करने के लिए भारतीय वायु सेना (IAF) के सुखोई SU-30MKI, MiG-29 और तेजस MK-2 फाइटर जेट का इस्तेमाल किया जा सकता है।
जमीन से प्रक्षेपण: इस ब्रह्मोस-NG मिसाइल को जमीन से लॉन्च करने के लिए मोबाइल ट्रक-माउंटेड लॉन्चर का इस्तेमाल किया जा सकता है।
समुद्र से प्रक्षेपण: इस ब्रह्मोस-NG मिसाइल को समुद्र से लॉन्च करने के लिए भारतीय नौसेना (Indian Navy) के जहाजों और पनडुब्बियों का उपयोग किया जा सकता है।
4. उन्नत स्टील्थ एवं इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर (Stealth & EW Capabilities)
ब्रह्मोस-NG मिसाइल को बहुत ही उन्नत टेक्नोलॉजी के साथ बनाया गया है, जिससे यह रडार से बचाव के लिए रडार-अवशोषित कोटिंग (RAM) और लो-अवरक्त हस्ताक्षर से लैस है। जिसको दुनिया के कोई भी रडार जल्दी डिटेक्ट नहीं कर सकता है। इसको जैमिंग प्रतिरोधी क्षमता यानि अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटरमेशर्स (ECCM) से भी लैस किया गया है। जिससे यह मिसाइल कही भी अचूक हमला करने में सक्षम होता है।
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| ये है अगली पीढ़ी का सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस-NG ! |
ब्रह्मोस-NG vs मूल ब्रह्मोस की तुलनात्मक विशेषता:
Conclusion
ब्रह्मोस-NG भारत की "आत्मनिर्भर रक्षा" की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह सुपरसोनिक मिसाइल तकनीक में भारत को वैश्विक नेता बनाने में मदद करेगी। इस मिसाइल को धरती, हवा और समुद्र कही से भी लॉन्च किया जा सकता है। इसका स्पीड लगभग 4,200 किलोमीटर प्रति घंटा है।
इसके छोटे आकार के कारण ब्रह्मोस-NG, एक LCA तेजस पर दो मिसाइलें और एक सुखोई SU-30MKI पर पाँच मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। अनुमान है कि यह नया संस्करण ब्रह्मोस-NG मिसाइल तीन से चार वर्षों में तैयार हो जाएगा और इसके निर्यात की बहुत ज्यादा संभावना है।
Disclaimer: यह लेख इंटरनेट पर आधारित है। इस लेख में लेखक की तरफ से कई त्रुटियां हो सकती हैं, इसलिए 100% सही होने की गारंटी नहीं दिया जा सकता है। इसीलिए इस लेख पर किसी प्रकार का दावा या क्लेम नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह अनुचित एवम् अमान्य माना जायेगा।




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