भारत की सबसे घातक मिसाइल ब्रह्मोस का नया अवतार, अगली पीढ़ी की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस-NG!

 

ब्रह्मोस NG मिसाइल सिस्टम
ब्रह्मोस NG मिसाइल 


News Subah Ki: भारत और रूस की संयुक्त परियोजना ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा विकसित की जा रही एक हल्की, अधिक घातक और बहु-प्लेटफॉर्म सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, ब्रह्मोस-NG! यह मौजूदा सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का छोटा एवम् उन्नत संस्करण है। इस मिसाइल की घोषणा सबसे पहले 2014 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा से पहले की गई थी। इसे ज़मीनी, हवाई, सतही और पानी के नीचे स्थित प्लेटफ़ॉर्म पर तैनात करने के लिए बनाया गया था। इस मिसाइल का आकार इसे पनडुब्बियों के टारपीडो रूम से भी लॉन्च करने में सक्षम बनाता है। यह मूल ब्रह्मोस मिसाइल का उन्नत संस्करण है, जिसे भारतीय वायुसेना, नौसेना और सेना के लिए डिज़ाइन किया गया है। 

ब्रह्मोस NG एक मल्टी-प्लेटफॉर्म, मल्टी-टारगेट और हल्के वजन वाली हथियार प्रणाली है, जो इसे युद्ध के मैदान के लिए एकदम सही बनाती है। मिसाइल में यांत्रिक घटकों को विद्युत घटकों से बदलने के बाद आकार में कमी आई है। मिसाइल की लंबाई छह मीटर और व्यास 50 सेंटीमीटर है। समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि इस मिसाइल का आकार देखते हुए 'जटिल और आधुनिक' एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइलों के लिए भी इसका मुकाबला करना 'मुश्किल' होगा।

  Highlights   

🚀 ब्रह्मोस-NG मिसाइल की कुछ विशेष और मुख्य विशेषताएँ।

🚀 रेंज एवं गति और आकार एवं वजन में मूल ब्रह्मोस से कोसों दूर।

🚀 उन्नत स्टील्थ एवं इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर से लैस है ब्रह्मोस-NG मिसाइल।

🚀 मल्टी-प्लेटफॉर्म से लॉन्च होने वाली क्षमता से लैस है ब्रह्मोस-NG मिसाइल।

🚀 मूल ब्रह्मोस मिसाइल और ब्रह्मोस NG मिसाइल में तुलना।

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ब्रह्मोस NG मिसाइल सिस्टम
ब्रह्मोस NG मिसाइल

ब्रह्मोस-NG मिसाइल की मुख्य विशेषताएँ :

घातक और सटीक, ब्रह्मोस NG मूल मिसाइल की तुलना में आकार और वजन में छोटी है। इसका वजन 1.5 MT है, और यह 5 मीटर लंबी है। पहले वाले संस्करण का वजन 3 टन था और यह 9 मीटर लंबा था। (MTCR) की सीमाओं के कारण इस मिसाइल की मूल सीमा 290 किलोमीटर थी। भारत के MTCR समूह का हिस्सा बनने के बाद ही इसकी सीमा 450 किलोमीटर तक बढ़ पाई और इसे 600 किलोमीटर तक और बढ़ाया जा सकता है। और इसकी गति 3.5 मैक तक है। पहले वाली मिसाइल की तुलना में ब्रह्मोस NG में कम रडार क्रॉस सेक्शन (RCS) है, जिससे वायु रक्षा प्रणालियों के लिए लक्ष्य का पता लगाना और उस पर हमला करना मुश्किल हो जाएगा। नई मिसाइल में स्वदेशी रूप से विकसित और निर्मित सीकर भी होगा। जबकि पहले वाली मिसाइल, ब्रह्मोस PJ-10 में मैकेनिकली स्कैन रडार है, ब्रह्मोस NG में AESA रडार होगा।

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ब्रह्मोस NG मिसाइल सिस्टम
ब्रह्मोस NG मिसाइल


1. रेंज एवं गति (Range & Speed)  

ब्रह्मोस-NG मिसाइल की रेंज लगभग 300 से 500 किलोमीटर (भारत के MTCR सदस्य बनने के बाद बढ़ाई गई)  के बीच है। इस मिसाइल की स्पीड या गति लगभग 3.5 मैक (4,200 किलोमीटर प्रति घंटा) है। इसको दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक माना जाता है। इसकी सटीकता की बात की जाए तो इसमें CEP (GPS+GLONASS+इनर्शियल गाइडेंस) दिया गया है, जिससे यह मिसाइल 1 से 3 मीटर की पिन प्वाइंट रेडियस में मारता है। 

2. आकार एवं वजन (Size & Weight)  

ब्रह्मोस-NG मिसाइल का आकार एवं वजन मूल ब्रह्मोस मिसाइल से करीब 50% कम यानि आधा है। इसकी लंबाई करीब 5 से 6 मीटर के लगभग है जो मूल ब्रह्मोस से आधी है। और इसका वजन भी बहुत कम लगभग 1.5 MT के करीब होता है। जो मूल ब्रह्मोस मिसाइल की वजन 2.5 से 3 MT की तुलना में करीब आधा यानि 50% कम है। इस ब्रह्मोस-NG मिसाइल में करीब 300 किग्रा तक परंपरागत या न्यूक्लियर वारहेड ले जाने की क्षमता है। जिससे यह पहले ब्रह्मोस की अपेक्षा में बहुत ज्यादा घातक हो गया है।

3. मल्टी-प्लेटफॉर्म क्षमता (Multi-Platform Launch)  

इस ब्रह्मोस NG मिसाइल को जमीन, हवा और पानी तीनो जगह से लॉन्च किए जाने लायक निर्माण किया गया है।

हवा से प्रक्षेपण: इस ब्रह्मोस NG मिसाइल को हवा से लॉन्च करने के लिए भारतीय वायु सेना के सुखोई Su-30MKI, MiG-29 और तेजस Mk2 फाइटर जेट का इस्तेमाल किया जाता है।

जमीन से प्रक्षेपण: इस ब्रह्मोस NG मिसाइल को जमीन से लॉन्च करने के लिए मोबाइल ट्रक-माउंटेड लॉन्चर का इस्तेमाल किया जाता है।

समुद्र से प्रक्षेपण: इस ब्रह्मोस NG मिसाइल को समुद्र से लॉन्च करने के लिए भारतीय नौसेना के जहाजों और पनडुब्बियों का उपयोग किया जाता है।

4. उन्नत स्टील्थ एवं इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर (Stealth & EW Capabilities)  

ब्रह्मोस NG मिसाइल को बहुत ही उन्नत टेक्नोलॉजी के साथ बनाया गया है, जिससे यह रडार से बचाव के लिए रडार-अवशोषित कोटिंग (RAM) और लो-अवरक्त हस्ताक्षर से लैस है। जिसको दुनिया के कोई भी रडार जल्दी डिटेक्ट नहीं कर सकता है। इसको जैमिंग प्रतिरोधी क्षमता यानि अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटरमेशर्स (ECCM) से भी लैस किया गया है। जिससे यह मिसाइल कही भी अचूक हमला करने में सक्षम होता है।

ब्रह्मोस NG मिसाइल सिस्टम
ब्रह्मोस NG मिसाइल


ब्रह्मोस-NG vs मूल ब्रह्मोस (तुलना)

ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल की तुलना अगर नए ब्रह्मोस NG से की जाए तो इसमें आपको बहुत ही अंतर नजर आता है, क्योंकि रेंज में जहां मूल ब्रह्मोस 290 किलोमीटर वही ब्रह्मोस NG का 300 से 500 किलोमीटर है। स्पीड या गति की बात की जाए तो मूल ब्रह्मोस 2.8 मैक वही ब्रह्मोस NG की  3.5 मैक है। वजन में भी यह मिसाइल अपने मूल ब्रह्मोस मिसाइल से करीब 50% हल्का बना है, क्योंकि मूल ब्रह्मोस मिसाइल का वजन 2.5 MT से 3.0 MT के लगभग है वहीं ब्रह्मोस NG का वजन लगभग 1.5 MT के करीब है। इसके अलावा इस ब्रह्मोस NG मिसाइल की लंबाई भी 5 से 6 मीटर के लगभग ही है, जहां मूल ब्रह्मोस मिसाइल 8.4 मीटर का है। वही बात की जाए इसके लॉन्चिंग प्लेटफार्म की तो मूल ब्रह्मोस मिसाइल को हवा और पानी लॉन्च करने के लिए बड़े जहाजों और सुखोई SU-30 का ही उपयोग किया जा सकता था वहीं ब्रह्मोस NG मिसाइल के लिए छोटे जहाज, LCA तेजस, MiG 29 और सुखोई SU-30 का उपयोग किया जा सकता है।

Conclusion

ब्रह्मोस-NG भारत की "आत्मनिर्भर रक्षा" की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह सुपरसोनिक मिसाइल तकनीक में भारत को वैश्विक नेता बनाने में मदद करेगी। इस मिसाइल को धरती, हवा और समुद्र कही से भी लॉन्च किया जा सकता है। इसका स्पीड लगभग 4,200 किलोमीटर प्रति घंटा है।

इसके छोटे आकार के कारण ब्रह्मोस NG, एक LCA तेजस पर दो मिसाइलें और एक सुखोई SU-30MKI पर पाँच मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। अनुमान है कि यह नया संस्करण ब्रह्मोस NG मिसाइल तीन से चार वर्षों में तैयार हो जाएगा और इसके निर्यात की बहुत ज्यादा संभावना है।

Disclaimer: यह लेख इंटरनेट पर आधारित है। इस लेख में लेखक की तरफ से कई त्रुटियां हो सकती हैं, इसलिए 100% सही होने की गारंटी नहीं दिया जा सकता है। इसीलिए इस लेख पर किसी प्रकार का दावा या क्लेम नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह अनुचित एवम् अमान्य माना जायेगा।

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