अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए लोगों ने लगाई गुहार, बांग्लादेशी मूल के हिंदुओं को अब ट्रंप से आस;



अमेरिका में रह रहे बांग्लादेशी मूल के लोगों को अब ट्रंप से आस है। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों की बढ़ती घटनाओं के बाद यहां के हिंदुओं ने ट्रंप से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील

News Subah Ki: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी 2025 में पदभार संभालेंगे। हालांकि उनके शपथ लेने से पहले ही लोग उनसे गुहार लगा रहे हैं।बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों की बढ़ती घटनाओं के बाद यहां के हिंदुओं ने ट्रंप से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है। रविवार को अमेरिका में रह रहे बांग्लादेशी मूल के हिंदू, बौद्ध और ईसाई समुदाय के लोगों ने डोनाल्ड ट्रंप से एक अपील की है। लोगों ने उनसे बांग्लादेश में धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ जारी अत्याचार के मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है।

बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय को अस्तित्व का संकट 

समूह ने कहा है कि बांग्लादेश में इस्लामी ताकतों की वजह से अल्पसंख्यक समुदाय के लिए अस्तित्व का संकट पैदा हो गया है। समूह ने ट्रंप से बांग्लादेश में उनकी रक्षा में मदद का अनुरोध किया है। वहीं हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की तत्काल रिहाई सुनिश्चित करने की मांग करते हुए समूह ने कहा है कि बांग्लादेश में कट्टरपंथ का खतरा बढ़ रहा है, जिसका न केवल दक्षिण एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर भी दूरगामी प्रभाव हो सकता है। इस समस्या का समाधान जितना जल्दी ग्लोबल स्तर पर होगा, उतना ही अधिक दबाव बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टर पंथियों पर पड़ेगा।



बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों को आधिकारिक मान्यता की अपील 

समूह के प्रेस रिलीज के मुताबिक अल्पसंख्यकों और स्वदेशी समूहों को आधिकारिक तौर पर बांग्लादेश में मान्यता देने के लिए एक व्यापक अल्पसंख्यक संरक्षण अधिनियम का भी प्रस्ताव रखा गया है। प्रमुख सिफारिशों में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए सुरक्षित इलाकों की स्थापना और अल्पसंख्यकों के लिए अलग चुनावी व्यवस्था बनाना शामिल है। वहीं धार्मिक प्रथाओं और सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा के लिए और नफरती भाषण के खिलाफ कानून बनाने की मांग भी की गई है। अब देखना ये है कि अमेरिका के फ्यूचर प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप इस समस्या का समाधान किस तरह निकाल रहे हैं। उनसे बांग्लादेश में रह रहे लोगों और अमेरिका में रह रहे बांग्लादेशी अल्पसंख्यकों  को बहुत ही उम्मीद है।

Disclaimer: ये लेख इंटरनेट पर आधारित है, इस लेख को लेकर कोई प्रकार का दावा या क्लेम करना अनुचित एवम् अमान्य होगा।

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