यूरिया मिला दूध के कारण किडनी फेल होने के मामलों में तेजी आई:
यूरिया और अन्य पदार्थ मिला दूध के कारण किडनी फेल होने के मामलों में हाल - फिलहाल बहुत ज्यादा तेजी आई है। इसके अलावा, नकली दूध का सेवन हमारे शरीर और मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है। यह याद्दाश्त को कमजोर करता है, और बोलने की क्षमता को भी प्रभावित करता है। साथ ही इससे किडनी फेल की भी समस्या हो सकती है।
मिलावटी दूध की पहचान के लिए आप अपना सकते हैं, निम्नलिखित तरीके :
1. पानी की मिलावट: एक छोटी सी शीशी में दूध डालें और उसे हिलाएं। अगर दूध में झाग नहीं बनता या पानी अलग दिखाई देता है, तो उसमें पानी मिलाया गया हो सकता है।
दूध की एक बूंद कांच की सतह पर डालें। यदि वह जल्दी से बह जाए और सफेद निशान न छोड़े, तो उसमें पानी मिला है।
2. डिटर्जेंट की मिलावट: 5-10 मिली दूध में थोड़ा पानी मिलाएं और इसे हिलाएं। अगर झाग बनने लगे, तो इसमें डिटर्जेंट मिला हो सकता है।
3. स्टार्च की मिलावट: दूध में कुछ बूंदें आयोडीन की डालें। अगर दूध का रंग नीला हो जाए, तो उसमें स्टार्च मिला हुआ है।
4. सिंथेटिक दूध की पहचान: दूध को सूंघें। अगर उसमें साबुन जैसी गंध है या स्वाद कड़वा है, तो यह सिंथेटिक हो सकता है।
इसे हाथों के बीच रगड़ें। अगर यह साबुन जैसा चिकना लगता है, तो यह सिंथेटिक हो सकता है।
5. चाक पाउडर की मिलावट: दूध को किसी बर्तन में डालकर नीचे बैठने दें। यदि तल में सफेद पदार्थ जमा होता है, तो चाक पाउडर हो सकता है।
6. यूरिया की मिलावट: दूध को हिलाकर सूंघें। यदि अजीब गंध आए तो इसमें यूरिया हो सकता है।
यूरिया की जांच के लिए दूध में नींबू का रस मिलाएं। अगर तुरंत जमने लगे, तो इसमें यूरिया हो सकता है।
मिलावटी दूध के कारण बढ़ रही बीमारियां:
डॉ. आंचल ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 319 लाख मीट्रिक टन दूध का उत्पादन हो रहा है, जबकि जरूरत 426 लाख मीट्रिक टन की है। इस अंतर को पूरा करने के लिए दूध में डिटर्जेंट, यूरिया और स्टार्च जैसे हानिकारक पदार्थ मिलाए जा रहे हैं। डिटर्जेंट से चक्कर आना, उल्टी और पेट दर्द जैसे लक्षण सामने आते हैं। स्टार्च से किडनी खराब होने की संभावना बढ़ती है।
डॉ. आंचल ने बताया कि लेबोरेटरी में फिजिकल डिडक्शन मेथड के जरिए दूध में मिलावट का पता लगाया जा सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि आम उपभोक्ताओं को जागरूक करने और एक ऐसा उपकरण विकसित करने की जरूरत है, जिससे आसानी से दूध में मिलावट की पहचान की जा सके। इससे मिलावटी दूध के सेवन से बचाव संभव हो सकेगा।
नोट: अगर आप शंका में हैं, तो दूध की फैट और सॉलिड-नॉट-फैट (SNF) की जांच स्थानीय दूध परीक्षण केंद्र में करवा सकते हैं।
Disclaimer: ये लेख इंटरनेट पर आधारित है, इस लेख को लेकर कोई प्रकार का दावा या क्लेम करना अनुचित एवम् अमान्य होगा।




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