Bangladesh में 2 जनवरी को जमानत पर होगी सुनवाई, 20 अधिवक्ता करेंगे चिन्मय कृष्ण दास की पैरवी!

सन्यासी चिन्मय कृष्ण दास


हिंदू संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत पर दो जनवरी को चटगांव अदालत में सुनवाई होगी। इस बार 20 अधिवक्ता उनकी पैरवी करेंगे। 25 नवंबर को देशद्रोह के आरोप में चिन्मयl को गिरफ्तार किया गया था। उनके वकील को अग्रिम जमानत याचिका भी दाखिल करने का मौका नहीं दिया गया था। इस बीच कोलकाता में इस्कॉन भक्तों ने मंगलवार को बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा की प्रार्थना की।

News Subah Ki: बांग्लादेश के ढाका और चटगांव के 20 अधिवक्ता दो जनवरी को चटगांव कोर्ट में इस्कॉन संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत के लिए पैरवी करेंगे। क्योंकि वहां के अदालत ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दिया था। चिन्मय कृष्ण दास गत 25 नवंबर को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी के बाद से जेल में बंद हैं। चिन्मय कृष्ण दास के मुख्य अधिवक्ता रवींद्र घोष को अग्रिम जमानत याचिका दायर करने की अनुमति नहीं दी गई है।

   Highlights   

पश्चिम बंगाल आए है, बांग्लादेश के Advocate रवींद्र घोष।

उन्होंने कहा बांग्लादेश में मेरी जान को भी खतरा है।

बांग्लादेश के Adv रवींद्र घोष से मिले TMC नेता कुणाल घोष।

बांग्लादेश के बार एसोसिएशन से नहीं मिली अनुमति।

पश्चिम बंगाल आए है, Advocate रवींद्र घोष:

रवींद्र घोष इस समय अपने इलाज के सिलसिले में बंगाल आए हुए हैं। हालांकि, वे अपने कनिष्ठ अधिवक्ताओं के संपर्क में हैं और जमानत याचिका पर बहस के लिए उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं। मालूम हो कि इस्कॉन संन्यासी का समर्थन करने वाले चटगांव कोर्ट के कम से कम 30 अधिवक्ताओं पर बांग्लादेश CRPC की गैर-जमानती धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं। Adv.घोष, जो गिरफ्तार साधु चिन्मय कृष्ण दास का सक्रिय रूप से बचाव कर रहे हैं, ने अपने काम में शामिल जोखिमों को स्वीकार किया है।

बांग्लादेश में मेरी जान को भी खतरा:

रवींद्र घोष ने पहले कहा, "चूंकि मैं चिन्मय दास प्रभु का बचाव कर रहा हूं, इसलिए मुझे पता है कि मेरे खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए जा सकते हैं और मेरी जान को भी खतरा है।" इस बीच, अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि मंगलवार शाम को रवींद्र घोष को सीने में दर्द की शिकायत के बाद यहां सरकारी एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया। 88 वर्षीय वकील रवींद्र घोष को कार्डियोलॉजी विभाग में निगरानी में रखा गया है।

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Adv रवींद्र घोष से मिले TMC नेता कुणाल घोष:

तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेता कुणाल घोष ने मंगलवार को हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास का बचाव करने वाले बांग्लादेशी वकील से मुलाकात की। घोष ने पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में रवींद्र घोष के घर पर उनसे मुलाकात की।

बैरकपुर में इलाज करा रहे रवींद्र घोष 15 दिसंबर को भारत पहुंचे, जिससे उनके परिवार को राहत मिली, जो पड़ोसी देश में उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित थे। घोष अपनी पत्नी के साथ बैरकपुर में अपने बेटे राहुल घोष के पास रह रहे हैं। TMC के पूर्व राज्यसभा सांसद ने पड़ोसी देश के वकील से वादा किया, कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलने के उनके अनुरोध को उचित स्तर पर सूचित किया जाएगा।

TMC नेता ने बंगाल भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा, "उन्हें केंद्र में अपनी सरकार पर दबाव डालना चाहिए कि वह बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को समाप्त करने के लिए अपने कार्यालयों का उपयोग करे।

बांग्लादेश के बार एसोसिएशन से नहीं मिली अनुमति:

सन्यासी चिन्मय कृष्ण दास


चटगांव बार एसोसिएशन ने अधिवक्ताओं को चिन्मय कृष्ण दास की ओर से खड़े होने की अनुमति नहीं दी है, इसलिए उन्हें दो जनवरी को उनकी पैरवी के लिए अन्य तरीकों पर विचार किया जा रहा है। घोष ने कहा कि गत दो दिसंबर को चटगांव कोर्ट में अधिवक्ताओं के एक वर्ग ने मेरा पीछा किया था।

मैं केवल पुलिस सुरक्षा के कारण चोटिल होने से बच गया था। इसे दोहराया जाना दुर्भाग्यपूर्ण होगा। अगर बांग्लादेश सरकार में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने की सद्इच्छा है, तो कुछ कट्टरपंथी इसे कैसे चुनौती दे सकते है ? बता दें कि चिन्मय कृष्ण दास के साथियों को भी बांग्लादेश में गिरफ्तार किया गया है।

शेख हसीना के जाने के बाद बढ़ा अत्याचार:

जुलाई महीने में बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ छात्रों का आंदोलन भड़का। मगर बाद में यह समाप्त हो गया। इसके बाद दोबारा छात्रों ने बड़ा आंदोलन किया। इस बार शेख हसीना को सत्ता से हटाने उनकी मांग थी। देखते-ही देखते आंदोलन हिंसक हो गया।

पांच अगस्त को शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़कर भारत आना पड़ा। शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से ही बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का दौर जारी है। लगातार उनकी संपत्तियों को निशाना बनाया जा रहा है। उधर, बांग्लादेश अब भारत से शेख हसीना की वापसी की मांग कर रहा है। हालांकि बांग्लादेश की मांग पर भारत ने अभी तक आधिकारिक रूप से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हसीना की सरकार गिरने के बाद बांग्लादेश और भारत के रिश्तों में तनाव है।

बंगाल भाजपा से TMC नेता कुणाल घोष ने पूछा:

TMC नेता ने बंगाल भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा, "उन्हें केंद्र में अपनी सरकार पर दबाव डालना चाहिए कि वह बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को समाप्त करने के लिए अपने कार्यालयों का उपयोग करे।

"चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई तकनीकी और कानूनी मुद्दों पर निर्भर करती है। मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता। क्या यहां के भाजपा नेताओं ने दास की रिहाई के बारे में केंद्रीय नेतृत्व से बात की है? कुणाल घोष ने पूछा।

PM को पत्र लिखकर आग्रह, Adv.रवीन्द्र घोष:

रवीन्द्र घोष ने PTI को बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया है, कि वे बांग्लादेश में अल्पसंख्यक नेताओं पर हो रहे अत्याचार और उत्पीड़न का मुद्दा वहां की अंतरिम सरकार के समक्ष उठाएं।

बांग्लादेशी वकील ने कहा, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को पिछली लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार द्वारा लिए गए किसी भी नीतिगत फैसले को खारिज करने का कोई अधिकार नहीं है।" बांग्लादेश समिलिता सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास को इस महीने की शुरुआत में ढाका के हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक रैली के लिए चटगाँव जाते समय गिरफ्तार किया गया था। उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया और बांग्लादेश की एक अदालत ने 2 जनवरी तक जेल भेज दिया।

सन्यासी चिन्मय कृष्ण दास कौन हैं?

सन्यासी चिन्मय कृष्ण दास


सन्यासी चिन्मय कृष्ण दास, जिन्हें देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार किया गया था और फिर जमानत देने से इनकार कर दिया गया था, बांग्लादेश सम्मिलिता सनातनी जागरण जोते के प्रवक्ता के रूप में कार्य करते हैं, जो अल्पसंख्यकों के अधिकारों और सुरक्षा के लिए काम करने वाला एक समूह है।

वह बांग्लादेश में हिंदू (सनातनी) समुदाय के मुखर समर्थक रहे हैं, उन्होंने अल्पसंख्यक संरक्षण कानून, अल्पसंख्यक उत्पीड़न के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए न्यायाधिकरण और अल्पसंख्यक मामलों के लिए समर्पित मंत्रालय की स्थापना जैसे प्रमुख सुधारों की मांग की है।

उन्होंने 25 अक्टूबर को चटगांव और 22 नवंबर को रंगपुर में आयोजित बड़ी सार्वजनिक रैलियों के आयोजन के लिए व्यापक ध्यान आकर्षित किया, जिससे पूरे देश में महत्वपूर्ण सामाजिक-राजनीतिक चर्चाएँ शुरू हो गईं।

चिन्मय कृष्ण दास को क्यों गिरफ्तार किया गया?

उन्हें उस विवाद के बाद गिरफ्तार किया गया, जब 30 अक्टूबर को चटगांव में उनके और 18 अन्य लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया। आरोप चटगाँव के लालदिघी मैदान में 25 अक्टूबर को आयोजित रैली के दौरान बांग्लादेश के आधिकारिक झंडे के ऊपर भगवा झंडा फहराने से जुड़े थे।

दास को चटगांव की एक अदालत में पेश किया गया, जहां उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई और उन्हें हिरासत में भेज दिया गया। गिरफ्तारी से व्यापक आक्रोश फैल गया और कई लोगों ने उनकी तत्काल रिहाई की मांग की। 

Disclaimer: ये लेख इंटरनेट पर आधारित है, इस लेख को लेकर कोई प्रकार का दावा या क्लेम करना अनुचित एवम् अमान्य होगा।

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