चीन के सबसे बड़े दुश्मन ताइवान ने भारत को दिया ऐसा ऑफर, की पूरे एशिया के जियोपोलिटिक्स में हलचल मचा दी?

Taiwan and India trade deal: ताइवान ने भारत को ऑफर किया है कि भारत के दुर्लभ खनिज (Rare Earth Mineral) को परमानेंट मैग्नेट में बदलने की टेक्नोलॉजी वो उपलब्ध कराएगा, और बदले में वो भारत को सेमीकंडक्टर देगा जिसमें चीन को महारत हासिल है। 

भारत का दुर्लभ खनिज (Rare Earth Mineral) भंडार।
भारत का दुर्लभ खनिज (Rare Earth Mineral) भंडार।


News Subah Ki: पूरे दुनिया में चीन के पास दुर्लभ खनिज पदार्थ (Rare Earth Mineral) के सबसे बड़ा भंडार है। और इस मामले में पहले स्थान पर कब्जा जमाएं बैठा है, दूसरे स्थान पर ब्राजील काबिज है। और तीसरे स्थान पर भारत है, मगर दुर्भाग्य से भारत ने संशोधित करने की टेक्नोलॉजी अभी तक विकसित नहीं कर सका है। इसी को लेकर चीन के सबसे बड़े दुश्मन ताइवान ने भारत को ऑफर किया है, कि वह भारत के साथ मिलकर या पार्टनरशिप में दुर्लभ खनिज पदार्थ (Rare Earth Elements) को संशोधित करके परमानेंट मैग्नेट में बदलने की टेक्नोलॉजी लगाएगा।

ताइवान के इस फैसले से पूरी दुनिया से चीन का एकाधिकार समाप्त हो जाएगा। ताइवान के बहुत सारी कंपनियों ने इसके लिए भारत में निवेश करने के लिए उत्सुक हैं। ऐसा होने से भारत में विकास की क्रांति आ जाएगी। क्योंकि दुर्लभ खनिज  (Rare Earth Mineral) के बदले ताइवान भारत को सेमीकंडक्टर और बहुत सारे टेक्नोलॉजी देगा। जिसका उपयोग इलेक्ट्रानिक क्षेत्र, रक्षा क्षेत्र और खासकर स्पेस टेक्नोलॉजी में बहुत ज्यादा होता है। इससे भारत को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगा।

 Highlights  

✅ दुनिया में चीन के पास दुर्लभ खनिज पदार्थ (Rare Earth Mineral) के सबसे बड़ा भंडार है।

✅ दुर्लभ खनिज (Rare Earth Mineral) भंडार में पूरी दुनिया में भारत का तीसरा स्थान है।

✅ ताइवान ने भारत को ऑफर किया, दुर्लभ खनिज (Rare Earth Mineral) के बदले सेमीकंडक्टर चिप!

✅ LED लाइट, कंप्यूटर, स्मार्टफोन, सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक कार, घरेलू इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद या फिर रक्षा निर्माण बिना सेमीकंडक्टर के असंभव है।

✅ ताइवान के पास दुर्लभ खनिज (Rare Earth Mineral) को संशोधित करके उत्पाद बनाने के लिए टेक्नोलॉजी मौजूद है।

भारत में दुर्लभ खनिज का तीसरा सबसे बड़ा भंडार:

भारत का दुर्लभ खनिज (Rare Earth Mineral) भंडार।
भारत का दुर्लभ खनिज (Rare Earth Mineral) भंडार।


भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा दुर्लभ खनिज पदार्थ (Rare Earth Elements) का भंडार है। इस भंडार में करीब 6.9 मिलियन मीट्रिक टन दुर्लभ खनिज (Rare Earth Mineral) के होने का अनुमान है। भारत से आगे सिर्फ चीन और ब्राजील जैसे मुल्क ही हैं। इंडिया ब्रैंड इक्विटी फाउंडेशन के मुताबिक भारत के बाद ऑस्ट्रेलिया, रूस, वियतनाम, अमेरिका और ग्रीनलैंड के पास इसका भंडार है। लेकिन, भारत इतने बड़े दुर्लभ खनिज भंडार होने के बावजूद इसे संशोधित करके उससे परमानेंट मैग्नेट या रेयर अर्थ मैग्नेट बनाने की तकनीक में अभी शुरुआती पायदान पर ही है। जबसे चीन ने टेंशन देना शुरू किया है, तब से भारत समेत दुनिया के कुछ और देशों को भी इसकी कमी महसूस हुई है।

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चीन को चिढ़ाने वाला ताइवान का भारत को ऑफर:

ताइवान अब भारत में बनाने जा रहा है, सेमीकंडक्टर चिप।
ताइवान अब भारत में बनाने जा रहा है, सेमीकंडक्टर चिप।


आज के जमाने में लगभग हर अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक चीजों के लिए सेमीकंडक्टर जरूरी है। चाहे कंप्यूटर हो या स्मार्टफोन या फिर एलईडी लाइट्स, सोलर पैनल और इलेक्ट्रिक कार से लेकर घरेलू इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद तक या फिर रक्षा निर्माण। ये सब बिना सेमीकंडक्टर के मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। नई दिल्ली में ताइवान एक्सपो 2025 के दौरान ताइवान की ओर से भारत को बहुत बड़ा संदेश मिला है, जो दोनों मुल्कों के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकता है। न्यूज एजेंसी ANI से ताइवान के एक्सटर्नल ट्रेड डेवलपमेंट काउंसिल के डिप्टी डायरेक्टर केवन चेंग ने कहा कि उनका देश हाई-टेक उद्योगों के लिए भारत से दुर्लभ खनिज पदार्थ (Rare Earth Mineral) लेने के लिए बहुत ज्यादा इच्छुक है। उन्होंने कहा, 'हमारे पास इसको संशोधित करके उत्पाद बनाने के लिए टेक्नोलॉजी मौजूद है, लेकिन हमें भारत से खनिज (Mineral) चाहिए, ताकि हम साथ में काम कर सकें। 

भारत के साथ से ताइवान को क्या फायदा मिलेगा:

भारत सरकार ने खनन मंत्रालय के माध्यम से दुर्लभ खनिज (Rare Earth Minerals) की सप्लाई चेन को दुरुस्त करने के लिए लगातार काम में जुटी हुई है। इसकी वैश्विक मूल्य श्रृंखला (Global Value Chain) तैयार करने के लिए इसने खनिज सुरक्षा साझेदारी (Minerals Security Partnership), इंडो-पैसिफिक आर्थिक ढांचा (Indo Pacific Economic Framework) और  महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकी पर पहल (Initiative on Critical and Emerging Technology) के साथ भी तालमेल बिठा रहा है। साथ ही यह स्वदेशी कंपनियों को प्रोत्साहन (Incentives) देकर भारत में ही ज्यादा से ज्यादा परमानेंट मैग्नेट बनाने की कोशिश में जुटा हुआ है।
ताइवान अब भारत में बनाने जा रहा है, सेमीकंडक्टर चिप।
ताइवान अब भारत में बनाने जा रहा है, सेमीकंडक्टर चिप।


भारत के सेमीकंडक्टर निर्माण में बड़े निवेश की तैयारी:

ताइवान ने भारत को एक और अच्छा ऑफर दिया है। इसके अनुसार सेमीकंडक्टर चिप बनाने वाली ताइवानी कंपनियां भारत में बड़े पैमाने पर निवेश की योजना बना रही हैं। इसमें से एक पॉवर चिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्पोरेशन (Power Chip Semiconductor Manufacturing Corporation) टाटा ग्रुप के साथ मिलकर अगले साल से भारत में बड़े पैमाने पर सेमीकंडक्टर चिप उत्पादन की दिशा में भी काम पर जुटी हुई है।

क्या भारत-ताइवान की दोस्ती बदलेगी जियोपॉलिटिक्स:

आज की तारीख में दुनिया में जितने सेमीकंडक्टर बनते हैं, उनमें से 60 प्रतिशत ताइवान ही बनाता है। लेकिन, अमेरिका से मिली टैरिफ की चुनौतियों को देखते हुए उसके लिए भारत बहुत ज्यादा महफूज लग रहा है, जिसकी घरेलू खपत भी बहुत ज्यादा है, और साथ ही यहां न तो स्किल की कमी है, और न ही टैलेंट का लोचा है। सामरिक नजरिए से भी भारत और ताइवान में तालमेल दक्षिण एशिया की जियोपॉलिटिक्स बदल सकता है।

भारत और ताइवान के लिए फायदे का सौदा:

जहां तक भारत की बात है, तो इस क्षेत्र में हर प्रगति उसकी स्वच्छ ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है। दूसरी तरफ ताइवान के लिए अपनी सप्लाई चेन को भविष्य में बनाए रखने के लिए एक बड़ा बाजार मिल रहा है। कुल मिलाकर यह ऑफर दोनों ही मुल्कों के लिए लंबी अवधि में फायदे का सौदा साबित हो सकता है।


Disclaimer: यह लेख सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए सोशल मीडिया पोस्ट पर आधारित है। News Subah Ki ने पोस्ट में किए गए दावों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की है, और न ही उनकी सटीकता की गारंटी देता है। व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक रूप से News Subah Ki के विचारों को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं। पाठक विवेक का प्रयोग करें

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